खेतों में मेहनत और सपनों की फसल बोने वाले किसानों के लिए एक नई सुबह शुरू हो चुकी है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बेंगलुरु के भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के 11वें दिन किसानों से दिल से दिल की बात की। यह अभियान न केवल किसानों की तकदीर बदलने का वादा करता है, बल्कि भारत को विश्व का ‘फूड बास्केट’ बनाने की राह भी दिखा रहा है। कमलम (ड्रैगन फ्रूट) और टमाटर की खेती से लाखों की कमाई की कहानियां सुनकर किसानों में जोश की लहर दौड़ गई।
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’
29 मई को ओडिशा से शुरू हुआ यह 15 दिवसीय अभियान 12 जून तक चलेगा। 11 दिनों में शिवराज सिंह चौहान ने ओडिशा, जम्मू, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के लाखों किसानों से मुलाकात की। आज बेंगलुरु में उन्होंने खेतों का दौरा किया और किसानों की मेहनत को नमन किया। “यहां के किसान न सिर्फ मेहनती हैं, बल्कि वैज्ञानिक भी हैं। उनके नवाचार खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं,” चौहान ने गर्व से कहा।
कमलम और टमाटर: मुनाफे की नई फसल
बेंगलुरु ग्रामीण और आसपास के इलाकों में बागवानी ने कमाल कर दिखाया है। खासकर ‘कमलम’ (ड्रैगन फ्रूट) की खेती ने किसानों के लिए सोने की खान साबित की है। चौहान ने बताया, “पहले दो साल में कमलम से ज्यादा मुनाफा नहीं होता, लेकिन तीसरे साल से प्रति एकड़ 6 से 7 लाख रुपये की कमाई संभव है।” टमाटर की खेती भी पीछे नहीं—कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद प्रति एकड़ 3 से 4 लाख रुपये की कमाई का रास्ता खुला है। किसानों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि सही तकनीक और मार्गदर्शन से यह मुमकिन हुआ।
लैब से खेत: रिसर्च का नया दौर
चौहान ने ‘लैब टू लैंड’ (Lab to Land) के मंत्र को दोहराते हुए कहा, “वैज्ञानिकों की रिसर्च को खेतों तक पहुंचाना हमारा मिशन है। जलवायु, मिट्टी और क्षेत्र के हिसाब से सही फसलों और तकनीकों की जानकारी हर किसान तक पहुंचेगी।” भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि उनके प्रयासों ने बेंगलुरु को बागवानी का गढ़ बना दिया है।
कृषि: अर्थव्यवस्था की धड़कन
कृषि के महत्व को रेखांकित करते हुए चौहान ने कहा, “भारत की 50% आबादी आज भी खेती पर निर्भर है। GDP में कृषि की 18% हिस्सेदारी है, और इस साल की चौथी तिमाही में 7.5% की विकास दर में कृषि का योगदान 5.4% रहा। यह किसानों की मेहनत का जादू है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के सपने को साकार करने के लिए समृद्ध किसान और विकसित कृषि जरूरी है।
चार लक्ष्य, एक सपना
चौहान ने चार बड़े लक्ष्यों को सामने रखा:
- 145 करोड़ लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा।
- पोषणयुक्त आहार की उपलब्धता।
- खेती को किसानों के लिए लाभकारी बनाना।
- मिट्टी की उर्वरता को बचाना।
इन लक्ष्यों को पाने के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ वैज्ञानिकों को गांव-गांव ले जा रहा है। वे मिट्टी, जलवायु और क्षेत्र के हिसाब से किसानों को नई तकनीकों और फसलों का मार्गदर्शन दे रहे हैं।
नकली बीजों पर नकेल, सख्त कार्रवाई का वादा
नकली बीज और कीटनाशकों की समस्या पर चौहान ने सख्त रुख अपनाया। “गुणवत्ताहीन बीज और कीटनाशक बेचने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। इसके लिए नया कानून बन रहा है, और कड़ी कार्रवाई होगी,” उन्होंने ऐलान किया। यह सुनकर किसानों में उम्मीद की किरण जगी।
बाजार हस्तक्षेप योजना: सही दाम की गारंटी
किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाने के लिए सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) शुरू की है। चौहान ने बताया, “अगर आलू, प्याज या टमाटर के दाम कम हैं, तो किसान अपनी फसल को उन शहरों या राज्यों में बेच सकते हैं, जहां कीमतें ज्यादा हैं। परिवहन का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। भंडारण के लिए भी आर्थिक मदद दी जाएगी।” यह योजना 2025 में लागू हुई है और किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है।
पारंपरिक खेती से आगे, नई राह
चौहान ने किसानों से पारंपरिक खेती के साथ-साथ बागवानी, प्रोसेसिंग और निर्यात पर ध्यान देने की अपील की। “किसान भाई-बहन नई राह चुनें। गुणवत्तापूर्ण फल-सब्जियां उगाएं और विश्व बाजार में भारत का नाम रोशन करें। भारत को ‘फूड बास्केट’ बनाने का समय है,” उन्होंने जोश भरे अंदाज में कहा।
वैज्ञानिकों का खेतों में उतरना
चौहान ने गर्व से बताया कि पहली बार 16,000 वैज्ञानिक खेतों में जाकर किसानों को नई तकनीकों की जानकारी दे रहे हैं। “एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम” के विजन के साथ सरकार और वैज्ञानिक मिलकर किसानों की ताकत बढ़ा रहे हैं। बेंगलुरु के इस आयोजन में सांसद एमसी सुधाकर, विधायक एसआर विश्वनाथ, बागवानी संस्थान के महानिदेशक डॉ. एसके सिंह, पशु विज्ञान संस्थान के महानिदेशक डॉ. राघवेंद्र भट्टा, और बागवानी संस्थान बेंगलुरु के निदेशक डॉ. वी. सुब्रमण्यम के साथ सैकड़ों किसान और वैज्ञानिक मौजूद रहे।
किसानों के लिए एक नया सवेरा
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “किसान हमारी अर्थव्यवस्था की आत्मा हैं। उनकी समृद्धि ही हमारा लक्ष्य है।” यह अभियान न केवल खेती को लाभकारी बना रहा है, बल्कि किसानों के सपनों को नई उड़ान दे रहा है।