हरियाणा के गुरुग्राम में रहने वाली सुमन बोकन आज एक देश की बहुत सी महिलाओं की प्रेरणा बन चुकी हैं, अपने जुनून को बिजनेस में बदलकर लाखों लोगों का दिल जीत लिया है। कभी पेशे से हिंदी की शिक्षिका रहीं सुमन अब गुरुग्राम, दिल्ली और एनसीआर के लोगों को देसी चूल्हे पर बना घर का खाना परोस रही हैं। उनकी यह पहल न केवल स्वादिष्ट खाने के शौकीनों के लिए एक अनोखा अनुभव है, बल्कि पारंपरिक खाना पकाने की कला को जीवित रखने का एक शानदार उदाहरण भी है।
बचपन का शौक बना बिजनेस
सुमन बोकन को बचपन से ही घर का देसी खाना बनाकर दूसरों को खिलाने का शौक था। वह बताती हैं कि उनके लिए खाना बनाना और उसे अपनों के साथ बाँटना हमेशा से खुशी का कारण रहा है। लेकिन इस शौक ने एक बड़ा रूप तब लिया, जब कोविड महामारी के दौरान उन्होंने इसे एक बिजनेस के रूप में शुरू करने का फैसला किया। सुमन कहती हैं, “कोविड के दौरान जब सब कुछ ठप था, तब मैंने अपने इस शौक को गंभीरता से लिया। मुझे लगा कि लोग बाहर का खाना खाकर थक गए हैं और वे घर जैसे देसी स्वाद की तलाश में हैं।”
माँ की बीमारी ने दिखाया नया रास्ता
सुमन की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव तब आया, जब उनकी माँ को कैंसर का पता चला। इस मुश्किल समय में उन्होंने अपनी रसोई में मिट्टी के बर्तनों को जगह दी। सुमन ने देसी चूल्हे पर मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाना शुरू किया, और उनके परिवार को इसका स्वाद बहुत पसंद आया। वह बताती हैं, “मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से न सिर्फ स्वाद बढ़ता है, बल्कि यह सेहत के लिए भी बहुत अच्छा होता है। मेरे परिवार ने इसे खूब पसंद किया, और यहीं से मुझे प्रेरणा मिली कि मैं इसे और लोगों तक पहुँचाऊँ।”
परिचितों से लेकर सोशल मीडिया तक की सराहना
धीरे-धीरे सुमन के बनाए देसी खाने की तारीफ उनके परिचितों और दोस्तों के बीच होने लगी। लोग उनके यहाँ खाना खाने आने लगे और उनके खाने की सादगी और स्वाद की खूब प्रशंसा करने लगे। सुमन ने बताया, “जब मेरे परिचितों ने मेरे खाने की तारीफ शुरू की, तो मेरा आत्मविश्वास बढ़ा। फिर मैंने सोशल मीडिया का सहारा लिया, और वहाँ से मेरे इस देसी चूल्हे पर बने खाने को बहुत प्यार मिला।” बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर सुमन के देसी खाने की वीडियोज और तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं, जिसके बाद उनकी पहचान गुरुग्राम-दिल्ली-एनसीआर में तेजी से बढ़ी है।
देसी चूल्हे और घर के खाने की वापसी
आज के दौर में, जब लोग ज्यादातर फास्ट फूड और बाहर के खाने पर निर्भर हैं, सुमन बोकन ने देसी चूल्हे पर बने घर के खाने को फिर से लोकप्रिय बनाया है। उनके खाने में वह देसी स्वाद और प्यार है, जो आजकल कम ही देखने को मिलता है। सुमन कहती हैं, “मैं चाहती हूँ कि लोग फिर से उस देसी स्वाद को महसूस करें, जो हमारी माँ-दादी बनाया करती थीं। मिट्टी के बर्तनों और चूल्हे पर बना खाना न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं को भी जोड़े रखता है।”
लाखों के लिए प्रेरणा
सुमन बोकन की यह कहानी न केवल एक सफल बिजनेस की कहानी है, बल्कि यह भी दिखाती है कि अपने जुनून को कैसे एक बड़े मकसद में बदला जा सकता है। गुरुग्राम में उनके इस देसी खाने के कॉन्सेप्ट ने न सिर्फ लोगों को पारंपरिक खाने की ओर वापस लौटने के लिए प्रेरित किया है, बल्कि कई महिलाओं को अपने शौक को बिजनेस में बदलने का हौसला भी दिया है। सुमन की मेहनत और लगन ने उन्हें आज एक ऐसी शख्सियत बना दिया है, जो देसी चूल्हे पर बने खाने के जरिए न सिर्फ स्वाद परोस रही हैं, बल्कि हमारी संस्कृति को भी जीवित रख रही हैं।
सोशल मीडिया ने दी नई पहचान
सोशल मीडिया ने सुमन के इस बिजनेस को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई है। उनके देसी चूल्हे पर बने खाने की तस्वीरें और वीडियोज लोगों को इतनी पसंद आ रही हैं कि उनकी पोस्ट्स हजारों की संख्या में शेयर हो रही हैं। सुमन कहती हैं, “सोशल मीडिया ने मुझे एक बड़ा मंच दिया, जहाँ मैं अपने खाने को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचा सकी। आज लोग मेरे खाने को न सिर्फ खाना पसंद करते हैं, बल्कि वे इसे अपने परिवार के साथ अनुभव करना चाहते हैं।”
आगे की योजना
सुमन बोकन अब अपने इस देसी खाने के बिजनेस को और विस्तार देना चाहती हैं। खबर किसान की चैनल को दिए अपने एक इंटरव्यू में वह कहती हैं, “मैं चाहती हूँ कि ज्यादा से ज्यादा लोग देसी चूल्हे पर बने खाने का स्वाद ले सकें। मैं जल्द ही और लोगों को अपने साथ जोड़कर इस काम को बड़ा करना चाहती हूँ, ताकि हमारी परंपराओं को और आगे ले जाया जा सके।” सुमन की यह कहानी उन सभी लोगों के लिए एक मिसाल है, जो अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहते हैं।