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दिल्ली का ऑक्सीजन मैन बना यमुना का रक्षक-Yamuna को बचाने की जंग

यमुना का योद्धा: पंकज की जिद ने जगाई स्वच्छता की अलख

अंकित शर्मा by अंकित शर्मा
June 9, 2025
in लेटेस्ट न्यूज, सक्सेस स्टो‍री
Reading Time: 1 min
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क्या एक शख्स की मेहनत एक नदी को नया जीवन दे सकती है?

क्या जुनून और जागरूकता मिलकर इतिहास रच सकते हैं?

दिल्ली की धमनियों में बहने वाली यमुना नदी, जो कभी जीवन की सांस थी, आज प्रदूषण की चपेट में कराह रही है। लेकिन इन अंधेरे बादलों के बीच एक सितारा चमक रहा है—पंकज, जिन्हें लोग ‘ऑक्सीजन मैन’ के नाम से पुकारते हैं। पर्यावरण दिवस 2025 के मौके पर उनकी कहानी न सिर्फ यमुना के घाटों को रोशनी दे रही है, बल्कि लाखों दिलों में स्वच्छता और संरक्षण की लौ जगा रही है। यह है एक ऐसी सक्सेस स्टोरी, जो हर हिंदुस्तानी को प्रेरित करेगी!

सब्जी की रेहड़ी से यमुना के घाट तक

पंकज की जिंदगी किसी प्रेरक गाथा से कम नहीं। दिल्ली की तंग गलियों में कभी अपने पिता के साथ सब्जी बेचने वाले इस शख्स ने सपनों को पंख दिए। आर्थिक तंगी और जिंदगी की जद्दोजहद के बावजूद, पंकज ने कॉरपोरेट दुनिया में कदम रखा। लेकिन 2017 में, जब दिल्ली की हवा जहरीली होने लगी और यमुना का पानी काला पड़ने लगा, तब उनके दिल में कुछ टूटा। उन्होंने नौकरी को अलविदा कहा और ठान लिया कि अब उनकी जिंदगी का मकसद होगा—प्रकृति को बचाना।

खबर किसान की से बात करते हुए पंकज ने कहा कि, “मैंने देखा कि हमारी यमुना मर रही है, हमारी हवा दम तोड़ रही है। मैं चुप नहीं रह सका,” पंकज की आवाज में वही जुनून गूंजता है, जो उनकी आंखों में दिखता है। यहीं से शुरू हुआ उनका सफर, जो आज उन्हें यमुना का सच्चा रक्षक बना चुका है।

‘Earthworri’: एक मुहिम, एक परिवार

पंकज ने ‘Earthworri’ नाम से एक स्वयंसेवी समूह बनाया, जो पिछले पांच सालों से पर्यावरण संरक्षण की मशाल थामे हुए है। शुरुआत में पंकज ने अनोखा तरीका अपनाया—वे एक ICU वेंटिलेटर को कंधे पर लटकाकर पेड़ों से जोड़ते और लोगों को बताते कि “पेड़ ही हमारा ऑक्सीजन हैं।” इस अनोखे अंदाज ने उन्हें ‘ऑक्सीजन मैन’ का खिताब दिलाया। लेकिन उनका मिशन सिर्फ पेड़ों तक नहीं रुका।

आज पंकज और उनकी युवा टीम दिल्ली के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) की गहराई से पड़ताल करते हैं। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो न सिर्फ सरकार पर दबाव बनाते हैं, बल्कि आम लोगों को भी यमुना की हालत पर सोचने को मजबूर करते हैं। उनकी मेहनत का नतीजा? कई STP अब पहले से कहीं बेहतर काम कर रहे हैं, और यमुना के पानी में हरियाली की उम्मीद जागने लगी है।

हर रविवार, यमुना के लिए एक जंग

हर रविवार, जब दिल्ली की सड़कें सुस्ताती हैं, पंकज और उनकी ‘Earthworri’ टीम कालिंदी कुंज के यमुना घाट पर जुटती है। प्लास्टिक की थैलियां, पूजा सामग्री, कूड़ा—जो कुछ भी यमुना को घायल करता है, उसे साफ करने में ये जुटे रहते हैं। लेकिन उनकी लड़ाई सिर्फ कूड़ा हटाने तक नहीं है। वे राहगीरों से बात करते हैं, स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाते हैं और लोगों से आग्रह करते हैं, “यमुना में कूड़ा न डालें, इसे अपनी मां समझें।”

पंकज कहते हैं, “यमुना सिर्फ नदी नहीं, हमारी संस्कृति और जीवन का आधार है। अगर हम इसे नहीं बचाएंगे, तो हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी।” उनकी बातें सुनकर हर कोई सोच में पड़ जाता है।

चुनौतियां और अटल हौसला

पंकज का रास्ता आसान नहीं था। आर्थिक तंगी, सामाजिक उपेक्षा और संसाधनों की कमी ने कई बार उनके इरादों को डिगाने की कोशिश की। लेकिन उनका जुनून अडिग रहा। “मैंने अपने परिवार को मुश्किल में देखा है, लेकिन यमुना की हालत और खराब है। यह मेरी जिम्मेदारी है,” वे मुस्कुराते हुए कहते हैं। उनकी यह मुस्कान उनकी ताकत है, जो उनकी पूरी टीम में जोश भरती है।

आप भी बनें यमुना के रक्षक

पंकज की कहानी हमें सिखाती है कि बदलाव की शुरुआत एक कदम से होती है। उनकी ‘Earthworri’ टीम हर उस शख्स का स्वागत करती है, जो यमुना को बचाने में योगदान देना चाहता है। हर रविवार कालिंदी कुंज के यमुना घाट पर आप भी इस मुहिम का हिस्सा बन सकते हैं। अगर समय न हो, तो छोटे-छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं—प्लास्टिक का कम प्रयोग करें, पूजा सामग्री को नदी में न बहाएं, और अपने आसपास जागरूकता फैलाएं।

यमुना की नई सुबह

पंकज की मेहनत ने यमुना के कुछ घाटों को नया रंग दिया है। उनकी मुहिम ने न सिर्फ नदी को साफ किया, बल्कि लोगों के दिलों में भी पर्यावरण के प्रति प्यार जगाया है। पर्यावरण दिवस 2025 पर पंकज का संदेश साफ है—“यमुना हमारी धरोहर है। इसे बचाना हम सबका फर्ज है।”

 

Tags: clean yamuna drivedelhiDelhi PollutionEarthworrioxygen man delhiyamunayamuna river
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