25 मई को नेशनल वाइन डे रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर वाइन के स्वास्थ्य लाभ और इसके उत्पादन से जुड़े आर्थिक अवसरों पर चर्चा जोरों पर होती है। आपको बता दें कि अरुणाचल प्रदेश की तागे रीता द्वारा बनाई गई भारत की पहली जैविक कीवी वाइन ‘नारा-आबा’ इस क्षेत्र में एक नया आयाम जोड़ रही है। यह न केवल सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि किसानों के लिए भी एक लाभकारी अवसर बनकर उभर रही है। देश भर में कीवी और अन्य फलों से बनी वाइन के उत्पादन ने कृषि क्षेत्र में नए द्वार खोले हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ाने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की संभावना बढ़ी है।
Kiwi Wine : सेहत का खजाना
Tage Rita बताती हैं कि कीवी वाइन, जो जैविक कीवी फलों से तैयार की जाती है, अपने पोषक तत्वों के लिए जानी जाती है। कीवी में विटामिन सी, विटामिन ई, फाइबर, और एंटीऑक्सिडेंट्स की प्रचुर मात्रा होती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, और पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। नारा-आबा जैसी कीवी वाइन में ये गुण बरकरार रहते हैं, क्योंकि इसे बिना किसी कृत्रिम रसायन के बनाया जाता है। यह वाइन न केवल स्वाद में अनूठी है, बल्कि कम मात्रा में सेवन करने पर तनाव कम करने और नींद में सुधार करने में भी सहायक हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सीमित मात्रा में वाइन का सेवन हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकता है।
तागे रीता: अरुणाचल की प्रेरणा
अरुणाचल प्रदेश के जिरो वैली के होंग गांव की रहने वाली तागे रीता ने 2017 में भारत की पहली जैविक कीवी वाइन ‘नारा-आबा’ लॉन्च किया। एक कृषि इंजीनियर के रूप में प्रशिक्षित रीता ने स्थानीय किसानों की समस्या को पहचाना, जहां प्रचुर मात्रा में उगने वाले कीवी फलों की मांग कम होने के कारण किसान खेती छोड़ रहे थे। रीता ने अपने पति ताखे तमो के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकाला और एक बुटिक वाइनरी की स्थापना की। उनकी वाइनरी ने न केवल कीवी की खेती को पुनर्जनन दिया, बल्कि 300 से अधिक किसानों को अपनी उपज के लिए एक स्थिर बाजार भी प्रदान किया।
नारा-आबा, जिसका नाम रीता के ससुर के नाम पर रखा गया है, अब कीवी के साथ-साथ आलूबुखारा, नाशपाती, आड़ू, और जंगली सेब से बनी वाइन भी बनाती है।
रीता की इस पहल ने न केवल स्थानीय किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त किया, बल्कि जिरो वैली में वाइन टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया है, जहां हर महीने 400 से अधिक पर्यटक वाइन टेस्टिंग के लिए आते हैं।
कृषि और मुनाफे का नया अवसर
भारत में कीवी की खेती मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और केरल में होती है। अरुणाचल प्रदेश 2016 में देश के कुल कीवी उत्पादन का 26% हिस्सा पैदा करता था, जो 9,428 टन था। कीवी की खेती उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है, और यह कम पानी की मांग वाला फल है, जो इसे पहाड़ी क्षेत्रों के लिए आदर्श बनाता है। एक एकड़ में 300-500 कीवी के पेड़ लगाए जा सकते हैं, और प्रत्येक पेड़ 30-40 किलोग्राम फल दे सकता है। दिल्ली जैसे बाजारों में एक कीवी फल की कीमत 40-50 रुपये है, जिससे एक एकड़ से 18 लाख रुपये तक की आय हो सकती है।
वाइन उत्पादन ने इस आय को और बढ़ाने का रास्ता खोला है। तागे रीता की वाइनरी ने न केवल कीवी की खेती को बढ़ावा दिया, बल्कि स्थानीय युवाओं और बुजुर्गों को रोजगार भी दिया। उनकी वाइनरी में 25 लोग नियमित रूप से काम करते हैं, और फल पकने के मौसम में यह संख्या और बढ़ जाती है। इसके अलावा, अरुणाचल सरकार की 2015 की स्टेट वाइन पॉलिसी ने स्थानीय उद्यमियों को वाइनमेकिंग के लिए प्रोत्साहन दिया है, जिससे किसानों को अपनी उपज के लिए बेहतर बाजार और मूल्य मिल रहा है।