देश के किसानों के लिए एक नई उम्मीद की किरण तब जगी, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने PM किसान सम्मान निधि योजना को लेकर एक सीधी और साहसी मांग रखी। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) से स्पष्ट शब्दों में कहा – “अब वक्त आ गया है कि किसानों को दी जाने वाली 6000 रुपये की सालाना राशि में महंगाई के अनुपात में इजाफा किया जाए।” यह सिर्फ एक सुझाव नहीं, बल्कि देश के अन्नदाताओं के लिए एक नीतिगत दिशा है, जो सीधे तौर पर भारत के गांव, खेत और किसान की आय से जुड़ी है।
छह हजार में क्या उगाएं, क्या खाएं?
उपराष्ट्रपति ने मंच से कहा, “एक किसान जो पूरे देश को खाना खिलाता है, उसके हिस्से में मात्र ₹6000 सालाना क्यों? क्या यह रकम आज की महंगाई के दौर में सम्मान के लायक है?”
धनखड़ ने ज़ोर देते हुए कहा कि किसान सिर्फ एक पेशा नहीं, राष्ट्रनिर्माण की रीढ़ है। ऐसे में अगर सरकारें और संस्थाएं मिलकर उनके आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में बड़े फैसले नहीं लेंगी, तो विकसित भारत का सपना अधूरा रह जाएगा।
कृषि अनुसंधान परिषद से खास अपील
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) से अपील की कि वो सरकार को एक ठोस सुझाव दें, ताकि किसान सम्मान निधि की राशि में मुद्रास्फीति के अनुसार संशोधन किया जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि ICAR जैसे संस्थानों को सिर्फ शोध तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि किसानों की आर्थिक दशा को बदलने में उनकी भूमिका नीतिगत स्तर पर भी होनी चाहिए।
किसानों की आमदनी बढ़ाने का रोडमैप जरूरी
“सरकार का लक्ष्य किसानों की आय दोगुनी करना है, लेकिन जब तक उनके खाते में सीधा पैसा नहीं पहुंचेगा, और वो भी यथोचित मात्रा में, तब तक लक्ष्य अधूरा रहेगा,” उपराष्ट्रपति ने साफ शब्दों में कहा।
उन्होंने नीति-निर्माताओं को याद दिलाया कि कृषि एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां लागत लगातार बढ़ रही है, लेकिन आय स्थिर या बेहद धीमी गति से बढ़ रही है।