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शुद्ध कच्ची घानी बैल कोल्हू तेल: पराग गौड़ की अनोखी पहल, जो समाज को दे रही है स्वस्थ जीवन!

अंकित शर्मा by अंकित शर्मा
May 31, 2025
in पशुपालन, लेटेस्ट न्यूज, सक्सेस स्टो‍री, सेहत
Reading Time: 1 min
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देश की राजधानी दिल्ली से पर्यावरण इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके युवा पराग गौड़ ने एक ऐसा रास्ता चुना, जिसने न सिर्फ उनके जीवन को बदल दिया, बल्कि पूरे समाज को प्रेरित किया। बचपन से ही प्रकृति प्रेमी पराग ने किसी प्राइवेट संस्थान में नौकरी करने की बजाय अपने पैतृक गांव पहासू, बुलंदशहर की ओर रुख किया, जहां उन्होंने ज़हर मुक्त खेती और भोजन के उद्देश्य से गौ आधारित खेती और देसी गायों के संरक्षण का बीड़ा उठाया।

पराग पिछले करीब 8 वर्षों से देसी गायों के संरक्षण और संवर्धन पर काम कर रहे हैं। उनकी गौशाला, नूतन वन गौ सदन, में वे देसी गाय के पंचगव्य से आयुर्वेदिक औषधियां बनाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। लेकिन पराग की पहल यहीं खत्म नहीं होती। आज के दौर में जहां लोग गायों के बछड़ों को लेकर परेशान होते हैं और अक्सर उन्हें सड़कों पर बेसहारा छोड़ देते हैं, वहीं पराग ने अपनी गौशाला में पारंपरिक विधि से चलने वाला कच्ची घानी का बैल कोल्हू (Kachhi Ghani Bail kolhu) लगाया है।

इस कोल्हू की खासियत यह है कि इसमें बैलों की ऊर्जा का सदुपयोग होता है, उनका संरक्षण सुनिश्चित होता है, और साथ ही शुद्ध तेल भी मिलता है। पराग बताते हैं, “हमारे प्रकृति संस्थान का कच्ची घानी बेल कोल्हू तेल लोगों को बहुत पसंद आ रहा है, क्योंकि बाजार में कोल्ड प्रेस्ड आयल के नाम पर ना जाने क्या-क्या बेचा जा रहा है। लेकिन सही मायने में लो आरपीएम पर निकला शुद्ध कच्ची घानी का बैल कोल्हू तेल यही होता है।”

फिलहाल, यह तेल काली सरसों, पीली सरसों, मूंगफली, और नारियल में उपलब्ध है, और लोगों की प्रतिक्रिया बेहद सकारात्मक रही है। पराग का उद्देश्य समाज को शुद्ध और प्राकृतिक खाद्य पदार्थ पहुंचाना है, ताकि हमारा समाज स्वस्थ रहे। उनकी यह पहल न सिर्फ देसी गायों के संरक्षण को बढ़ावा दे रही है, बल्कि पारंपरिक खेती और खाद्य पदार्थों को भी जीवित रख रही है।

कच्ची घानी बैल कोल्हू तेल के फायदे:

  • शुद्धता: यह तेल पारंपरिक विधि से तैयार किया जाता है, जिसमें कोई केमिकल या प्रोसेसिंग नहीं होती, जिससे तेल की पवित्रता बनी रहती है।
  • पोषक तत्व: लो आरपीएम पर निकाले गए तेल में विटामिन, खनिज, और एंटीऑक्सीडेंट्स बरकरार रहते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।
  • बैलों का संरक्षण: इस प्रक्रिया में बैलों की ऊर्जा का उपयोग होता है, जिससे उनका संरक्षण सुनिश्चित होता है और वे बेसहारा नहीं रहते।
  • पर्यावरण अनुकूल: यह विधि पर्यावरण के अनुकूल है, क्योंकि इसमें कोई हानिकारक उत्सर्जन या अपशिष्ट नहीं होता।

मिलावटी तेल और रिफाइंड ऑयल के नुकसान:

  • स्वास्थ्य जोखिम: मिलावटी तेल में अक्सर सस्ते और हानिकारक पदार्थ मिलाए जाते हैं, जो लिवर, किडनी, और हृदय रोगों का कारण बन सकते हैं।
  • पोषक तत्वों की हानि: रिफाइंड ऑयल में प्रोसेसिंग के दौरान पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, और इनमें ट्रांस फैट्स की मात्रा बढ़ जाती है, जो मोटापा और अन्य बीमारियों को बढ़ावा देती है।
  • पर्यावरणीय नुकसान: रिफाइंड ऑयल के उत्पादन में केमिकल्स का उपयोग होता है, जो पर्यावरण को प्रदूषित करता है और पारंपरिक खेती को नुकसान पहुंचाता है।

देसी गायें, पंचगव्य और भविष्य की आशा

पराग गौड़ केवल खेती नहीं कर रहे — वो संस्कृति को पुनर्जीवित कर रहे हैं। उनकी गौशाला में देसी गायों के पंचगव्य (गौमूत्र, गोबर, दूध, दही, घी) से तैयार की जा रही हैं आयुर्वेदिक औषधियाँ जो कि , त्वचा रोग, पाचन तंत्र, सर्दी-जुकाम, बालों की समस्याओं, इम्युनिटी बढ़ाने में असरदार हैं।

पराग की कहानी आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो बड़े-बड़े करियर की तलाश में हैं, लेकिन प्रकृति और परंपराओं यहां तक की अपनी जड़ों और गांव से दूर हो रहे हैं। उनकी पहल ने साबित कर दिया है कि अगर सही मंशा हो, तो कोई भी व्यक्ति समाज और पर्यावरण के लिए सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उनकी गौशाला और कच्ची घानी बैल कोल्हू तेल की सफलता ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को प्रेरित किया है, बल्कि पूरे देश में एक नई सोच को जन्म दिया है।

पराग गौड़ की यह पहल न सिर्फ एक व्यक्ति की सफलता की कहानी है, बल्कि एक ऐसे भविष्य की ओर इशारा करती है, जहां प्रकृति, परंपरा, और आधुनिकता साथ-साथ फलफूलें।

Tags: AyurvedicBull EnergyCold Pressed OilKachi Ghani Bail Kolhu telPanchgavyasuccess story
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