जोधपुर, राजस्थान: भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आत्मनिर्भर ग्राम्य जीवन को पुनर्जीवित करने के संकल्प के साथ, जीव-जंतु कल्याण एवं कृषि शोध संस्थान (AWRI) के अध्यक्ष श्री भारत सिंह राजपुरोहित के नेतृत्व में चल रही राष्ट्रव्यापी ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ राजस्थान के ऐतिहासिक शहर जोधपुर पहुँची। यात्रा टीम के जोधपुर आगमन पर गौभक्तों और स्थानीय समाजसेवियों ने अत्यंत गर्मजोशी और उत्साह के साथ उनका भव्य स्वागत किया, जिसने पूरे वातावरण को भक्ति और संकल्प के रंग में रंग दिया। इस ऐतिहासिक पड़ाव पर राजपुरोहित छात्रावास ने गौभक्ति और सामूहिक संकल्प का एक प्रेरणादायक केंद्र बनकर उभरा।
जोधपुर में गौभक्तों का अद्भुत समागम
जैसे ही ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ का कारवाँ जोधपुर की धरती पर पहुँचा, गौमाता के प्रति श्रद्धा रखने वाले जनसमूह ने उनका पलक-पाँवड़े बिछाकर स्वागत किया। राजपुरोहित छात्रावास में आयोजित विशेष कार्यक्रम में, यात्रा टीम का अभिनंदन करने के लिए शहर और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में गौभक्त और समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित रहे। इस अवसर पर श्री भंवर सिंह शिवतलाव, श्री धीरेंद्र राजपुरोहित, श्री ओंकार राजपुरोहित, श्री मगन सिंह पिलोवानी, श्री पुनीत अग्रवाल, श्री योगेश तालकिया, श्री मनोहर सिंह सरवड़ी, श्री बजरंग सिंह अराबा, श्री शेर सिंह धुँधाड़ा, श्री देवेंद्र सिंह भाटी, श्री भेरू सिंह नारवा जैसे कई समर्पित गौसेवकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इन सभी ने ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ के विराट उद्देश्यों और श्री भारत सिंह राजपुरोहित के नेतृत्व के प्रति अपना पूर्ण समर्थन और विश्वास व्यक्त किया।
यह समागम सिर्फ़ एक स्वागत समारोह नहीं था, बल्कि यह देसी गौवंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए एकजुटता का एक सशक्त प्रदर्शन था। यहाँ उपस्थित हर व्यक्ति की आँखों में गौमाता के प्रति असीम श्रद्धा और भारत को आत्मनिर्भर बनाने का साझा सपना साफ़ झलक रहा था।
‘गौ राष्ट्र यात्रा’: एक जन-आंदोलन का बढ़ता स्वरूप
‘गौ राष्ट्र यात्रा’ का मूल उद्देश्य केवल देसी गायों को बचाना नहीं है, बल्कि उन्हें भारतीय ग्राम्य अर्थव्यवस्था की रीढ़ के रूप में पुनः स्थापित करना, जैविक कृषि को बढ़ावा देना और गौ-आधारित जीवनशैली को जन-जन तक पहुँचाना है। श्री भारत सिंह राजपुरोहित लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि देसी गायें मात्र पशु नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता की आधारशिला हैं। उनकी यह यात्रा देशभर में गौसेवा को एक व्यापक जनांदोलन का रूप दे रही है। हर पड़ाव पर मिल रहा जनसमर्थन इस बात का प्रमाण है कि गौमाता के महत्व को लेकर समाज में जागरूकता तेज़ी से बढ़ रही है।
जोधपुर में मिला यह अभूतपूर्व उत्साह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि देसी गौवंश के प्रति जन–मानस में प्रेम और सम्मान की भावना लगातार मजबूत हो रही है। यह यात्रा न केवल हमारे पारंपरिक ज्ञान और मूल्यों को पुनर्जीवित कर रही है, बल्कि आधुनिक संदर्भ में देसी गायों के आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक महत्व को भी स्थापित कर रही है। ‘गौ राष्ट्र यात्रा‘ का यह पड़ाव इस अटल सत्य को और भी प्रबलता से स्थापित करता है कि “गौ नहीं बचेगी, तो गाँव नहीं बचेगा — और गाँव नहीं बचेगा, तो भारत नहीं बचेगा।“ यह यात्रा आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रही है।