बकरीद, जिसे ईद-उल-अज़हा या कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है, भारत में मुस्लिम समुदाय का एक प्रमुख पर्व है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, बकरीद 2025 में 27 मई के आसपास मनाई जाएगी। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि गोट फार्मिंग करने वाले किसानों और पशुपालकों के लिए भी मोटी कमाई का सुनहरा अवसर लेकर आता है। बकरीद के दौरान बकरों और बकरियों की मांग में भारी उछाल देखने को मिलता है, जिससे गोट फार्मिंग बिजनेस से जुड़े लोग लाखों रुपये कमा सकते हैं। हालांकि, इस मौके का लाभ उठाने के लिए सही रणनीति और सावधानियां जरूरी हैं। इस खबर में हम गोट फार्मिंग के मुनाफे, बकरीद के लिए खरीदारी की सावधानियों, और सरकारी योजनाओं की जानकारी विस्तार से दे रहे हैं, ताकि किसान और खरीदार दोनों तैयार रहें।
बकरीद 2025: गोट फार्मिंग का मुनाफा
बकरीद के दौरान बकरों और बकरियों की मांग में तेजी आती है, क्योंकि इस त्योहार में कुर्बानी की परंपरा निभाई जाती है। यह गोट फार्मिंग करने वालों के लिए साल का सबसे बड़ा मौका होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, बकरीद और ईद जैसे त्योहारों पर बकरियों की मांग 30-40% तक बढ़ जाती है। औसतन एक बकरी का वजन 25 किलो होता है, जिसे 300 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाए, तो इसकी कीमत 7,500 रुपये तक हो सकती है। वहीं, कुछ खास नस्लों के बकरे, जैसे जमनापारी या सिरोही, 5 लाख रुपये तक भी बिक सकते हैं, खासकर अगर उनकी उम्र, वजन, और स्वास्थ्य बेहतर हो।
कम लागत, मोटा मुनाफा: गोट फार्मिंग को कम लागत वाला और टिकाऊ बिजनेस माना जाता है। एक छोटे स्तर पर शुरूआत करने के लिए 50 बकरियों और 2 बकरों की यूनिट की लागत लगभग 3-4 लाख रुपये हो सकती है। इसमें बकरियों की खरीद, चारा, और शेड निर्माण शामिल है। अगर सही देखभाल की जाए, तो 18 मादा बकरियों से सालाना 2,16,000 रुपये और नर बकरों से 1,98,000 रुपये तक की कमाई हो सकती है। इसके अलावा, बकरी का दूध, खाल, और खाद भी अतिरिक्त आय के स्रोत हैं। बकरी का दूध बाजार में 200-300 रुपये प्रति लीटर तक बिकता है, और इसकी मांग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों में बढ़ रही है।
गोट फार्मिंग के लिए सरकारी योजनाएं
केंद्र और राज्य सरकारें गोट फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, जो बकरीद जैसे अवसरों पर मुनाफा बढ़ाने में मदद करती हैं।
- नाबार्ड और बकरी पालन लोन: नाबार्ड के तहत बकरी पालन के लिए 50 लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है, जिसमें 30-90% तक सब्सिडी दी जाती है। मध्य प्रदेश में, जहां ‘कृषि उद्योग समागम 2025’ का आयोजन हो रहा है, किसानों को 10 बकरियों और 1 बकरे की यूनिट के लिए 60% सब्सिडी और 4,000 रुपये तक की सहायता दी जा रही है।
- मध्य प्रदेश बकरी पालन योजना: मध्य प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने के लिए बकरी पालन सब्सिडी योजना शुरू की है। इसके तहत किसानों को बकरी खरीद और शेड निर्माण के लिए कम ब्याज दर पर लोन मिलता है।
- रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी शर्तें: लोन और सब्सिडी का लाभ लेने के लिए किसान को मध्य प्रदेश का मूल निवासी होना चाहिए, आयु 18-65 वर्ष होनी चाहिए, और अपनी जमीन होनी चाहिए। आवेदन ऑनलाइन (mpfr.agristack.gov.in) या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र में किया जा सकता है।
बकरीद पर खरीदारी में सावधानियां
बकरीद के लिए बकरे या बकरी खरीदते समय खरीदारों को सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि धोखाधड़ी से बचा जा सके और सही निवेश हो। निम्नलिखित सावधानियां जरूरी हैं:
- स्वास्थ्य की जांच: बकरे का स्वास्थ्य जांचें। उसकी आंखें चमकदार, नाक साफ, और चाल सामान्य होनी चाहिए। कमजोर या बीमार बकरे खरीदने से बचें। CIRG के विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि खरीद से पहले पशु चिकित्सक से सलाह लें।
- वजन और उम्र: बकरे का वजन 25-50 किलो और उम्र 1-2 साल होनी चाहिए। भारी वजन वाले बकरे महंगे हो सकते हैं, लेकिन उनकी मांग ज्यादा होती है। कीमत 250-300 रुपये प्रति किलो के हिसाब से तय करें।
- विश्वसनीय विक्रेता: स्थानीय मंडी, पंजीकृत गोट फार्म, या e-NAM जैसे प्लेटफॉर्म से खरीदें। अनजान विक्रेताओं से सावधान रहें, क्योंकि कुछ लोग कम गुणवत्ता वाले बकरे ऊंची कीमत पर बेचते हैं।
- कानूनी दस्तावेज: बकरीद के लिए खरीदे गए बकरे का रसीद और स्वास्थ्य प्रमाणपत्र लें। यह सुनिश्चित करता है कि बकरे की उत्पत्ति वैध है और वह स्वस्थ है।
बजट का ध्यान: लाखों रुपये के बकरे दिखावे के लिए हो सकते हैं, लेकिन सामान्य खरीदारों को अपने बजट के अनुसार 7,500-20,000 रुपये की रेंज में बकरे चुनने चाहिए।