देश की आम जानता और किसानों के लिए राहत भारी खबर है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून ने इस वर्ष केरल में अपनी सामान्य तिथि 1 जून से 8 दिन पहले, यानी 24 मई को ही दस्तक दे दी है।
मानसून के समयपूर्व आगमन ने देश भर में मानसून की प्रगति को लेकर उत्साह बढ़ा दिया है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां भीषण गर्मी और लू ने जनजीवन को प्रभावित किया हुआ है।
मानसून की 24 मई तक की स्थिति
दक्षिण-पश्चिम मानसून ने भारत के कई हिस्सों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। मौसम विभाग के अनुसार, मानसून की उत्तरी सीमा दक्षिण अरब सागर, मालदीव, कोमोरिन क्षेत्र, दक्षिण और मध्य बंगाल की खाड़ी, कुछ पूर्वोत्तर राज्यों, केरल, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों तक पहुंच चुकी है। यह प्रगति अनुकूल जलवायु परिस्थितियों और बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में बन रहे चक्रवाती परिसंचरण के कारण तेज हुई है।
केरल में मानसून का आगमन भारत में मानसून की औपचारिक शुरुआत माना जाता है। इस वर्ष, मानसून ने 24 मई को केरल में प्रवेश किया, जो सामान्य तिथि से काफी पहले है। इसके साथ ही, तमिलनाडु, कर्नाटक और गोवा के तटीय क्षेत्रों में भी भारी बारिश की शुरुआत हो चुकी है। मौसम विभाग ने 29 मई तक इन क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिसमें 40-50 किमी/घंटा की तेज हवाएं भी शामिल हो सकती हैं।
2009 के बाद सबसे जल्दी आगमन
IMD के अनुसार, 2025 का मानसून आगमन 2009 के बाद सबसे जल्दी है, जब मानसून 23 मई को केरल पहुंचा था। इस बार अनुकूल मौसमी परिस्थितियों, जैसे बंगाल की खाड़ी में नमी का प्रवाह और चक्रवाती परिसंचरण, ने मानसून को समय से पहले सक्रिय कर दिया। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि यह जल्दी आगमन खेती और जल संसाधनों के लिए वरदान साबित हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां खरीफ फसलों की बुआई समय पर शुरू हो सकती है।
कृषि और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
मानसून का समयपूर्व आगमन किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है। भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 18.2% है, और समय पर बारिश खरीफ फसलों की बुआई को बढ़ावा देती है। जल्दी बारिश से जलाशयों का जलस्तर बढ़ेगा, जो पेयजल और हाइड्रोपावर उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, ग्रामीण मांग और आर्थिक स्थिरता को भी बल मिलेगा।
हालांकि, विशेषज्ञों ने भारी बारिश के कारण बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की संभावना के प्रति सावधानी बरतने की चेतावनी दी है। तटीय क्षेत्रों में तेज हवाओं और भारी बारिश से नुकसान की आशंका है, जिसके लिए स्थानीय प्रशासन को तैयार रहने की सलाह दी गई है।