देश में प्री-मानसून आगमन के दौरान ऐसा लग रहा था जैसे देश के अधिकांश राज्यों को भी समय से पहले गर्मी से राहत मिल जाएगी। लेकिन एक बार फिर से देश के कुछ राज्यों में गर्मी और लू का प्रकोप बढ़ गया है। बारिश की बूंदों को तरस रहे खेत और प्यासी ज़मीन की राह देख रहे किसानों के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने एक बड़ा अपडेट जारी किया है। मॉनसून की सुस्त चाल ने सबको बेचैन कर रखा है, लेकिन अब मौसम विभाग ने नई उम्मीद जगाई है।
कहां रुक गया मॉनसून?
IMD के अनुसार , बंगाल की खाड़ी में मौसमी सिस्टम के न बनने की वजह से मॉनसून की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है। इस देरी ने खेती-किसानी पर गहरा असर डाला है, क्योंकि बारिश के बिना खेतों की सांसें अटकी हुई हैं। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि सिस्टम के अभाव में मॉनसून की चाल ढीली पड़ गई है, लेकिन अब हालात बदलने के संकेत दिख रहे हैं।
कब आएगी बारिश की बहार?
मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि 12 से 18 जून के बीच दक्षिण-पश्चिम मॉनसून जोर पकड़ सकता है। IMD के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 12-13 जून के आसपास बंगाल की खाड़ी में एक नया सिस्टम बनने की संभावना है, जो मॉनसून को रफ्तार दे सकता है। हालांकि, कुछ मौसम मॉडल अभी भी अनिश्चितता बता रहे हैं। कुछ मॉडल सिस्टम बनने की पुष्टि करते हैं, तो कुछ इसकी संभावना को नकार रहे हैं। फिर भी, IMD को भरोसा है कि मॉनसून जल्द ही लोगों को राहत देगा।
किसानों के लिए राहत की उम्मीद
IMD का अनुमान है कि मॉनसून के दोबारा सक्रिय होने के बाद मध्य भारत, महाराष्ट्र के कुछ इलाकों और दक्षिण भारत के उन क्षेत्रों में अच्छी बारिश होगी, जहां मॉनसून पहले ही दस्तक दे चुका है। यह खबर उन इलाकों के लिए राहत की सांस लेकर आई है, जो सूखे की मार झेल रहे हैं। मौसम विभाग का कहना है कि बारिश का सही वितरण मॉनसून की प्रगति के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
मॉनसून की रफ्तार और बारिश का वितरण न सिर्फ फसलों के लिए, बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अहम है। तो, अब नजरें टिकी हैं आसमान पर और इंतज़ार है उन बादलों का, जो बरसकर खेतों को हरा और मन को सुकून देंगे।