देश की जानता के लिए एक राहत की खबर है, मानसून के दौरान आसमान से गिरने वाली बिजली अब जानलेवा नहीं रहेगी। दरअसल भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) से जुड़ी रिसर्च यूनिट ने ऐसा सिस्टम तैयार कर लिया है जो बिजली गिरने से करीब 3 घंटे पहले ही खतरे की सूचना दे सकता है।
यह तकनीक खुले खेतों में काम कर रहे किसानों, निर्माण मजदूरों और दूर-दराज इलाकों में रहने वालों के लिए जीवन रक्षक बन सकती है।
कैसे काम करता है यह सिस्टम?
हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) के वैज्ञानिकों ने यह सिस्टम INSAT-3D सैटेलाइट की मदद से विकसित किया है।
यह सैटेलाइट धरती से लगभग 36,000 किलोमीटर ऊपर से आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडियेशन (OLR) यानी पृथ्वी से निकलने वाली ऊष्मा में बदलाव को ट्रैक करता है।
जैसे ही धरती के तापमान में असामान्य गिरावट और बादलों की गतिविधियों में बदलाव आता है, यह सिस्टम उसे तुरंत पहचान लेता है और ‘कंपोजिट इंडिकेटर’ के ज़रिए चेतावनी देता है।
पहले से कितनी बेहतर है यह तकनीक?
जानकारों की मानें तो अब तक मौजूद सिस्टम केवल 30 मिनट पहले ही अलर्ट दे पाते थे, लेकिन नया सिस्टम 3 घंटे पहले तक का अलर्ट दे सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस सिस्टम की सटीकता 75% से 85% तक है — यानी यह तकनीक अब और ज्यादा भरोसेमंद बन चुकी है।
हर वर्ष होती है हजारों मौतें
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2002 से 2022 के बीच 52,477 लोग बिजली गिरने से जान गंवा चुके हैं।
वहीं एक वैज्ञानिक अध्ययन बताता है कि 1967 से 2020 के दौरान 1 लाख से अधिक लोगों की मौत बिजली गिरने के कारण हुई।
अगर ऐसा सिस्टम पहले होता, तो हजारों जानें बचाई जा सकती थीं।
आसमान का पैटर्न भी बदलता है!
इस सिस्टम का रहस्य है — OLR यानी पृथ्वी से बाहर जाती गर्मी की ऊर्जा। जब जमीन गर्म होती है, तो वायुमंडल में उथल-पुथल होती है और जैसे ही OLR में गिरावट आती है, इसका मतलब होता है कि कहीं न कहीं तूफान और बिजली बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
सैटेलाइट इसे पकड़ लेते हैं — और यही बनता है सटीक अलर्ट का आधार।
देशभर में अलर्ट पहुंचाने की तैयारी
वैज्ञानिकों ने जमीन की गर्मी (LST), बादलों की चाल (CMV), और OLR को मिलाकर एक कंपोजिट इंडिकेटर तैयार किया है।
यह बदलाव शुरू होते ही मौसम विभाग की टीम तुरंत स्थानीय प्रशासन और कमजोर समुदायों तक चेतावनी भेजने का काम करेगी।
यह सिर्फ तकनीक नहीं, जीवन रक्षा की ढाल है!
भारत जैसे देश में जहां बड़ी आबादी खुले खेतों, नदी किनारे और निर्माण स्थलों पर काम करती है, वहां इस सिस्टम का रोल सिर्फ वैज्ञानिक नहीं, मानवता से जुड़ा है। आने वाले समय में यह तकनीक हजारों जिंदगियों को सुरक्षित रखने का काम करेगी।