नई दिल्ली, 22 अगस्त 2025: भारत के कृषि निर्यात क्षेत्र में आज एक नया और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र से आने वाले प्रसिद्ध ‘किंग रोट’ सेब की पहली परीक्षण खेप को देहरादून से दुबई के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस ऐतिहासिक पहल को कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के सहयोग से साकार किया गया। नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में, वाणिज्य सचिव श्री सुनील बर्थवाल ने इस खेप को रवाना किया, जो उत्तराखंड के किसानों के लिए एक नए बाज़ार का दरवाज़ा खोलेगी।
लॉजिस्टिक्स और कोल्ड चेन की चुनौतियों से निपटना
1.2 मीट्रिक टन की यह शुरुआती खेप, केवल एक व्यापारिक लेन-देन से कहीं अधिक है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत से कृषि उत्पादों के निर्यात की राह में आने वाली लॉजिस्टिक्स और गुणवत्ता प्रबंधन की चुनौतियों को समझना और उनसे निपटना है। इस परीक्षण से मिली जानकारी का उपयोग शीत-श्रृंखला प्रबंधन (cold-chain management) और फ़सल के बाद की लॉजिस्टिक्स को और मजबूत बनाने में किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उत्तराखंड के पहाड़ों से निकलने वाले ताज़े फल अपनी गुणवत्ता और स्वाद को बनाए रखते हुए अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँचें। यह कदम उत्तराखंड की कृषि क्षमता को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने और वहां के स्थानीय उत्पादों को नई पहचान दिलाने की दिशा में एक अहम पहल है।
किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार
‘किंग रोट’ सेब की यह खेप सीधे तौर पर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आई है। पारंपरिक रूप से सीमित बाज़ार तक पहुँचने वाले इन किसानों को अब एक बड़ा और आकर्षक अंतरराष्ट्रीय बाज़ार मिलेगा। इससे उन्हें अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होगी। यह पहल न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगी, बल्कि उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों और निर्यात की बारीकियों को समझने के लिए भी प्रेरित करेगी। यह एक ऐसा मॉडल है जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर वैश्विक व्यापार से जोड़ता है।
कृषि निर्यात में उत्तराखंड की बढ़ती हिस्सेदारी
इस मौके पर, भारतीय कृषि निर्यात के आँकड़ों पर भी रोशनी डाली गई। वित्त वर्ष 2024-25 में, भारत से एपीडा द्वारा निर्धारित उत्पादों का कुल निर्यात ₹24,304 करोड़ था, जिसमें उत्तराखंड का योगदान ₹201 करोड़ रहा। गढ़वाली सेब की यह नई निर्यात खेप, राज्य की इस हिस्सेदारी को और बढ़ाने में मदद करेगी।
यह पहल न केवल उत्तराखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देगी, बल्कि दुनिया भर के उपभोक्ताओं को भारत के ताज़ा, प्राकृतिक और उच्च गुणवत्ता वाले कृषि उत्पादों से परिचित कराएगी। एपीडा जैसी संस्थाओं के सहयोग से, भारत का कृषि क्षेत्र वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।





