अमेरिका ने 27 अगस्त से भारत से आयात होने वाले कई सामानों पर 50% तक का भारी-भरकम टैरिफ लागू कर दिया है। इस अचानक और बड़े कदम से भारतीय निर्यातकों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। इसका सीधा असर कई क्षेत्रों पर पड़ने की आशंका है, जिसमें कृषि उत्पाद और छोटे व्यापारियों द्वारा बनाए गए सामान प्रमुख हैं।
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस स्थिति पर पहले ही अपना रुख साफ कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि इस अमेरिकी टैरिफ का असर चाहे जितना भी हो, उनकी सरकार किसानों, छोटे व्यापारियों और पशुपालकों के हितों की हर हाल में रक्षा करेगी। यह बयान दिखाता है कि सरकार इस चुनौती को हल्के में नहीं ले रही है और देश के सबसे संवेदनशील वर्गों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
विशेषज्ञों की राय और सरकार की संभावित रणनीति
इस नई व्यापारिक बाधा से निपटने के लिए व्यापार विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने सरकार को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उनका मानना है कि अब भारत को अमेरिका पर अपनी निर्यात निर्भरता को कम करना होगा। इसके लिए सरकार को अपनी व्यापार नीति में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को अब नए और बड़े बाजारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यूरोप, रूस, चीन, मध्य-पूर्व और अफ्रीका जैसे देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने से निर्यात के लिए नए रास्ते खुलेंगे। यह न केवल वर्तमान संकट से निपटने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में भी किसी एक देश पर निर्भरता कम करेगा। इसके साथ ही, भारत को अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने पर भी जोर देना होगा ताकि वे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी बने रहें।
भारत की आत्मनिर्भरता की राह
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि अमेरिकी टैरिफ वृद्धि का भारत की दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। उनका कहना है कि भारत सरकार अपनी ‘आत्मनिर्भर भारत’ की रणनीति पर काम कर रही है। यह रणनीति भारत को एक लचीली और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाने पर केंद्रित है। सरकार अपनी नीतिगत स्वतंत्रता को बनाए रखेगी और आर्थिक सुधारों को जारी रखेगी।
कुल मिलाकर, अमेरिकी टैरिफ का कदम भले ही एक तात्कालिक चुनौती पेश करता हो, लेकिन भारत इसे अपनी आर्थिक नीतियों को और अधिक मजबूत बनाने और अपने व्यापारिक संबंधों को विविधता देने के अवसर के रूप में देख रहा है। सरकार अपने किसानों, छोटे उद्योगों और पशुपालकों के साथ खड़ी है और यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी कि उनके हित सुरक्षित रहें।





