उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आर्थिक गतिविधियां लाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने ₹10,000 करोड़ रुपये से अधिक के खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) परियोजनाओं को आधिकारिक अनुमोदन दे दिया है। इस भारी-भरकम निवेश से न केवल कृषि उत्पादों का मूल्य संवर्धन होगा, बल्कि गांवों में रोज़गार और पूंजी निवेश की रफ़्तार तेज़ होगी।
मूल्य संवर्धन पर विशेष ज़ोर: डिप्टी सीएम का वक्तव्य
राज्य के उप-मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, जिनके पास फूड प्रोसेसिंग विभाग का भी प्रभार है, ने इस कदम को कृषि-उद्योग के लिए गेमचेंजर बताया। उन्होंने कहा कि “खाद्य उत्पादों पर जीएसटी दरों में कटौती के बाद घरेलू मांग में ज़बरदस्त वृद्धि देखी गई है। यह निवेश किसानों की स्थायी आय सुनिश्चित करेगा और साथ ही ग्रामीण युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर भी सृजित करेगा।”
राज्य सरकार की फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पॉलिसी 2023 के तहत ₹1 करोड़ से ₹50 करोड़ तक के मध्यम और बड़े निवेश वाली परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। मौर्य ने स्पष्ट किया कि सरकार का मुख्य लक्ष्य कृषि वैल्यू चेन को मज़बूत करना और सप्लाई चेन इंटीग्रेशन के माध्यम से छोटे किसानों को सीधे बाज़ार तक पहुँचाना है, जिससे फसल बर्बादी में भारी कमी आएगी।
PMFME योजना में यूपी अव्वल
सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के औपचारिकीकरण (PMFME) योजना के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश ने पूरे देश में रिकॉर्ड बनाया है। राज्य ने इस योजना के तहत 98% बैंक ऋण अनुमोदन दर हासिल की है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी ज़्यादा है। इस योजना में उद्यमियों को परियोजना लागत का 35% तक (अधिकतम ₹10 लाख) सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाता है।
कृषि अर्थव्यवस्था का तीन गुना विकास
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, अब तक 400 से अधिक परियोजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है, जिनमें से 60 प्रोजेक्ट्स का काम पूरा भी हो चुका है। सरकार इस सेक्टर में ₹250 करोड़ की सब्सिडी पहले ही वितरित कर चुकी है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, पिछले आठ वर्षों में प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था तीन गुना बढ़कर ₹7 ट्रिलियन (सात लाख करोड़ रुपये) के विशाल आंकड़े तक पहुँच चुकी है।
राज्य के सकल कृषि मूल्य वर्धन (GSVA) में प्रमुख फ़सलों का योगदान:
- अनाज: 40%
- बागवानी: 22.5%
- गन्ना: 19.5%
नीतिगत असर: ‘फार्म टू फोर्क’ मॉडल को मिला बढ़ावा
राज्य सरकार की यह नीतिगत पहल ‘फार्म टू फोर्क’ (खेत से थाली तक) मॉडल को सशक्त कर रही है। इससे फसल मूल्य में वृद्धि, ग्रामीण उद्योगों को प्रोत्साहन, महिला स्वयं सहायता समूहों को व्यावसायिक अवसर और खाद्य निर्यात क्षमता में उल्लेखनीय इजाफा होगा। सरकार का मानना है कि यह निवेश न केवल किसानों को बेहतर दाम सुनिश्चित करेगा, बल्कि सतत ग्रामीण विकास को भी एक नई दिशा प्रदान करेगा।




