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Home खेती-किसानी

20 साल से बिना जुताई के दोगुनी उपज, शिवराज सिंह चौहान हुए हैरान!

पूसा में दिखा खेती का 'महाप्रयोग'!

अंकित शर्मा by अंकित शर्मा
July 18, 2025
in खेती-किसानी
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केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की एक सोशल मीडिया पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है, जिसने कृषि जगत में नई बहस छेड़ दी है। अपनी इस पोस्ट में श्री चौहान ने बिहार के पूसा स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के एक खेत का अनुभव साझा किया है, जहाँ पिछले 20 सालों से ‘बिना जुताई खेती’ (No-Till Farming) का अभ्यास किया जा रहा है। उन्होंने इसे ‘खेती का भविष्य’ बताया है।

20 साल से ‘नो-टिल’ फार्मिंग: खेत की सेहत सुधरी, लागत घटी, उत्पादन बढ़ा

अपनी पोस्ट में, श्री चौहान ने उस खेत की तस्वीर और अनुभव साझा करते हुए लिखा, “मैं इस समय डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (बिहार) के उस खेत में खड़ा हूँ जहाँ पिछले 20 वर्षों से बिना जुताई खेती हो रही है।” उन्होंने इस बात पर आश्चर्य और प्रसन्नता व्यक्त की कि यहाँ सीधे मशीन से बुआई होती है और मिट्टी में जीवित केंचुए प्रचुर मात्रा में मिलते हैं, जो मिट्टी को लगातार उपजाऊ और ‘ज़िंदा’ बनाए रखते हैं।

मंत्री ने इस ‘रीजनरेटिव एग्रीकल्चर’ (Regenerative Agriculture) तकनीक के फायदों को उजागर करते हुए बताया कि इससे खेत की सेहत में उल्लेखनीय सुधार आया है। साथ ही, खेती की लागत घटी है और उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया, “जहाँ औसतन 60-62 क्विंटल उपज होती है, वहीं यहाँ (बिना जुताई वाले खेत में) 120 क्विंटल तक फसल मिली है।” यह लगभग दोगुनी उपज का आंकड़ा कृषि समुदाय में चर्चा का विषय बना हुआ है।

‘कम लागत, ज़्यादा लाभ और मिट्टी का संरक्षण’ – कृषि का भविष्य

श्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी पोस्ट के अंत में इस तकनीक को ‘खेती का भविष्य’ करार दिया। उनके अनुसार, यह ऐसी कृषि पद्धति है जो कम लागत, ज़्यादा लाभ और सबसे महत्वपूर्ण, मिट्टी के संरक्षण के तीनों उद्देश्यों को एक साथ पूरा करती है। उनकी यह पोस्ट किसानों और कृषि विशेषज्ञों के बीच तेजी से साझा की जा रही है, जो पारंपरिक जुताई के तरीकों पर पुनर्विचार करने और पर्यावरण-अनुकूल खेती की दिशा में बढ़ने का संकेत है।

मंत्री की यह सोशल मीडिया पोस्ट ऐसे समय में आई है जब केंद्र सरकार प्राकृतिक और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दे रही है। यह दिखाता है कि कैसे नई कृषि तकनीकें किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के साथ-साथ पर्यावरण को भी बेहतर बना सकती हैं।

Tags: agricultureBiharNatural FarmingNo-Till FarmingPaddy FarmingPUSAshivraj singh chouhan
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