नई दिल्ली: भारत को कृषि क्षेत्र में नई ऊँचाइयों पर ले जाने और किसानों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज देश में मक्का की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक दूरदर्शी ‘बहु-हितधारक दृष्टिकोण’ अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार के वैज्ञानिकों, किसानों, कृषि विश्वविद्यालयों और उद्योगों को एक साथ मिलकर, एक साझा मंच पर काम करना होगा। श्री चौहान ने आज नई दिल्ली में फिक्की (FICCI) के 11वें भारत मक्का शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह महत्वपूर्ण बात कही, जहाँ उन्होंने मक्का क्षेत्र के भविष्य की रूपरेखा प्रस्तुत की।
‘एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम’ का विजन: संगठित प्रयासों से नई क्रांति
अपने प्रभावशाली संबोधन के दौरान, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘एक राष्ट्र, एक कृषि और एक टीम’ के विचार पर केंद्रित एक मजबूत और संगठित कार्यप्रणाली बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि कृषि जैसे जटिल क्षेत्र में, जहाँ जलवायु परिवर्तन, बाज़ार की अनिश्चितताएँ और तकनीकी प्रगति लगातार चुनौतियाँ पेश करती हैं, वहाँ केवल समन्वित प्रयासों से ही स्थायी समाधान प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने फिक्की से आग्रह किया कि वे मक्का मूल्य श्रृंखला से जुड़े सभी हितधारकों — किसानों से लेकर प्रोसेसर और निर्यातकों तक — के साथ व्यापक चर्चा करें और ऐसी व्यावहारिक तथा समावेशी सिफारिशें प्रस्तुत करें, जो न केवल किसानों के लिए लाभकारी हों, बल्कि पूरे मक्का उद्योग को नई ऊँचाई दे सकें।
इस अवसर पर, श्री चौहान ने मक्का की खेती में अपने असाधारण योगदान के लिए कुछ किसानों को सम्मानित भी किया। यह सम्मान समारोह केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह उन मेहनती किसानों के अथक परिश्रम और नवाचारों को एक मंच पर लाने का प्रयास था, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद मक्का उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। ऐसे सम्मान अन्य किसानों को भी बेहतर तकनीकों और प्रबंधन पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे सामूहिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है।
मक्का: एक बहुपयोगी फसल और आत्मनिर्भरता का लक्ष्य
श्री चौहान का यह आह्वान ऐसे महत्वपूर्ण समय में आया है जब भारत कृषि विविधीकरण और किसानों की आय बढ़ाने पर विशेष जोर दे रहा है। मक्का एक अत्यंत बहुपयोगी फसल है, जिसका महत्व केवल मानव उपभोग तक सीमित नहीं है। इसका उपयोग बड़े पैमाने पर पशु आहार (विशेषकर पोल्ट्री और पशुधन के लिए), इथेनॉल उत्पादन, स्टार्च निर्माण और विभिन्न औद्योगिक उत्पादों (जैसे खाद्य तेल, सिरप, बायोप्लास्टिक) में भी होता है। इसकी यही बहुमुखी उपयोगिता इसे देश की खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और औद्योगिक विकास के लिए एक रणनीतिक फसल बनाती है।
मंत्री का बयान स्पष्ट करता है कि केंद्र सरकार मक्का उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने और किसानों को सशक्त बनाने के लिए सभी संबंधित पक्षों को एक साथ लाना चाहती है। वैज्ञानिकों का अत्याधुनिक शोध, कृषि विश्वविद्यालयों का शैक्षणिक योगदान, किसानों का ज़मीनी अनुभव और उद्योगों का निवेश व बाज़ार विशेषज्ञता — ये सभी मिलकर मक्का क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकते हैं। इससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि मूल्य संवर्धन (value addition) भी होगा, जिससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई मजबूती प्राप्त होगी। यह प्रयास भारत को वैश्विक ‘फूड बास्केट’ बनाने के लक्ष्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।