भारत कृषि प्रधान देश है और यहाँ कृषि भी पंचांग के अनुसार की जाती है। कृषि में होने वाले कार्य जैसे- बुवाई, कटाई आदि भी कृषि पंचांग के अनुसार की जाती है।
आपको बता दें कि भगवान सूर्यदेव का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय और कृषि संबंधी घटना मानी जाती है। यह अवधि, जिसे नौतपा (नवतपा) के नाम से जाना जाता है, भारतीय पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह में शुरू होती है और सामान्यतः मई के अंत या जून की शुरुआत में होती है। इस दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, जिससे पृथ्वी पर उनकी किरणें सीधी पड़ती हैं और तापमान में वृद्धि होती है। यह समय कृषि कार्यों के लिए भी विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह मानसून की शुरुआत और फसलों की बुआई के लिए अनुकूल परिस्थितियों का संकेत देता है।
कब होगा सूर्यदेव का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश
- तारीख और समय: सूर्यदेव 25 मई 2025 को सुबह लगभग 3:15 बजे रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। यह अवधि 2 जून या 3 जून 2025 तक चलेगी, जिसमें पहले 9 दिन नौतपा के रूप में सबसे गर्म माने जाते हैं।
- नौतपा की अवधि: नौतपा 25 मई से 2 जून 2025 तक रहेगा, हालांकि सूर्य रोहिणी नक्षत्र में कुल 15 दिनों तक रहेंगे (8 जून तक)।
कृषि कार्यों पर प्रभाव और शुभारंभ:
- कृषि कार्यों का महत्व:
- रोहिणी नक्षत्र को कृषि और सभ्यता के विकास से जोड़ा जाता है। यह नक्षत्र वृषभ राशि में होता है और इसके देवता ब्रह्मा जी हैं, जो सृजन और विकास के प्रतीक हैं। इस समय को बीज बोने, खेती शुरू करने और फसलों की वृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।
- नौतपा के दौरान गर्मी की तीव्रता मानसून की भविष्यवाणी के लिए महत्वपूर्ण होती है। यदि इन 9 दिनों में प्रचंड गर्मी होती है और बारिश नहीं होती, तो यह अच्छे मानसून और बेहतर फसल का संकेत माना जाता है।
- यदि नौतपा में बारिश हो जाती है, तो इसे “रोहिणी नक्षत्र का गलना” कहा जाता है, जो अनियमित वर्षा, बाढ़, या प्राकृतिक आपदाओं का संकेत हो सकता है।
- कृषि कार्यों के लिए शुभारंभ:
- रोहिणी नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश कृषि कार्यों जैसे बुआई, रोपण, और खेत तैयार करने के लिए शुभ माना जाता है। यह समय फसलों के अंकुरण और विकास के लिए अनुकूल होता है, क्योंकि गर्मी मिट्टी को तैयार करती है और मानसून की निकटता फसलों के लिए उपयुक्त नमी प्रदान करती है।
- परंपरागत रूप से, किसान इस समय मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खाद का उपयोग करते हैं और खेतों में बुआई की योजना बनाते हैं।
- नौतपा के दौरान अच्छी गर्मी होने पर माना जाता है कि धरती “पकती” है, जो फसलों के लिए लाभकारी होती है। यह मानसून के लिए भी मिट्टी को तैयार करता है।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
- नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें पृथ्वी पर लंबवत पड़ती हैं, जिससे तापमान बढ़ता है। यह गर्मी मैदानी इलाकों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनाती है, जो समुद्री हवाओं को आकर्षित करता है और मानसून की शुरुआत में सहायता करता है।
- यह समय तटीय क्षेत्रों में बारिश और तूफान की संभावना को भी बढ़ाता है, जो कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।
- कृषि सावधानी: किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसलों को गर्मी से बचाने के लिए उचित सिंचाई और छायादार व्यवस्था करें।