मध्य प्रदेश में खेती हुई मुनाफे का सौदा! सरकार ने कोदो-कुटकी के उपार्जन का लिया ऐतिहासिक फैसला
भोपाल: मध्य प्रदेश में किसानों के लिए अब खेती सिर्फ़ जीवनयापन का साधन नहीं, बल्कि लाभदायक व्यवसाय बनती जा रही है। राज्य सरकार ने कृषि को समृद्ध बनाने और किसानों की आय में निरंतर वृद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है।
पहली बार कोदो-कुटकी का सरकारी उपार्जन
मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के इतिहास में पहली बार कोदो (Kodo) और कुटकी (Kutki) जैसी पोषक अनाजों (Millets) के सरकारी उपार्जन (खरीद) का निर्णय लिया है। यह कदम उन छोटे और सीमांत किसानों के लिए बहुत बड़ी राहत है जो पारंपरिक रूप से इन अनाजों की खेती करते हैं लेकिन सही बाज़ार मूल्य नहीं मिलने से परेशान रहते थे।
उपार्जन से किसानों को लाभ:
- स्थायी बाज़ार: सरकारी खरीद सुनिश्चित होने से किसानों को अब खुले बाज़ार की अनिश्चितताओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
- आय में वृद्धि: सरकार द्वारा घोषित लाभकारी मूल्य से किसानों की आय में सीधे तौर पर वृद्धि होगी।
खरीफ 2025 के लिए निर्धारित लाभकारी मूल्य
खरीफ सीजन 2025 के लिए सरकार ने इन पोषक अनाजों के लिए जो खरीद मूल्य निर्धारित किया है, वह किसानों के लिए काफी उत्साहजनक है:
- कुटकी (Kutki): ₹3,500 प्रति क्विंटल
- कोदो (Kodo): ₹2,500 प्रति क्विंटल
यह सरकारी हस्तक्षेप इन अनाजों के महत्व को दर्शाता है, खासकर जब देश पोषक अनाज (मिलेट) वर्ष मना रहा है और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।
पहल के पीछे का उद्देश्य
सरकार का यह निर्णय दोहरे उद्देश्य को पूरा करता है:
- पोषण सुरक्षा: कोदो और कुटकी उच्च पोषण मूल्य वाले अनाज हैं। इनके सरकारी उपार्जन से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में पोषक तत्वों से भरपूर अनाजों को शामिल करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
- जैविक खेती को बढ़ावा: मध्य प्रदेश के कई आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में कोदो-कुटकी की खेती प्राकृतिक रूप से या कम लागत वाली जैविक विधियों से की जाती है। सरकारी समर्थन मिलने से इन जैविक और पारंपरिक खेती को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।
यह पहल सिद्ध करती है कि मध्य प्रदेश सरकार किसानों के लिए बाज़ार तक पहुँच आसान बनाने और उनके उत्पादों का सही मूल्य दिलाने के लिए निरंतर सक्रिय है, जिससे कृषि वास्तव में लाभ का व्यवसाय बन रही है।





