पटना: बिहार की मिट्टी की महक और मिठास, अब देश के कोने-कोने तक एक नया कीर्तिमान गढ़ रही है! बिहार की विश्व-प्रसिद्ध मिथिला लीची ने इस साल निर्यात के सभी पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। वर्ष 2025 में लीची निर्यात ने एक ऐतिहासिक छलांग लगाई है, जहाँ देश के प्रमुख शहरों में कुल 250 टन से अधिक लीची भेजी गई। यह आंकड़ा वर्ष 2024 की तुलना में लीची निर्यात में 108 फीसदी की हैरतअंगेज वृद्धि को दर्शाता है, और इस अभूतपूर्व सफलता का नायक बनकर उभरा है दरभंगा एयरपोर्ट।
महानगरों तक पहुँची ताज़ी मिठास: दरभंगा एयरपोर्ट बना ‘गेम चेंजर’
बिहार की यह रसीली और मीठी लीची अब देश के चार बड़े महानगरों – मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरु तक बिल्कुल ताज़ी और तेज़ी से पहुँच रही है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (भाविप्रा) के दरभंगा एयरपोर्ट ने मिथिला की लीचियों को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने में एक ‘गेम चेंजर’ की भूमिका निभाई है, जिससे राज्य के किसानों को बड़े बाजारों तक सीधी और आसान पहुँच मिली है।
पिछले वर्ष (2024) जहाँ कुल 120 टन लीची का निर्यात हुआ था, वहीं इस वर्ष 250 टन का आंकड़ा छूना यह साबित करता है कि बिहार की कृषि उपज की पूरे देश में कितनी भारी मांग है और सही बुनियादी ढांचा मिलने पर किसान कैसे चमत्कार कर सकते हैं।
एयरलाइंस का बेजोड़ सहयोग: स्पाइसजेट से अकासा तक, सबने भरी उड़ान
लीची निर्यात को मिली इस अप्रत्याशित गति में विभिन्न एयरलाइंस का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। विगत 20 मई को ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) से मंजूरी मिलते ही, स्पाइसजेट एयरलाइन ने सबसे पहले लीची निर्यात की शुरुआत की। 21 मई को लीची की पहली खेप मुंबई के लिए रवाना हुई। इसके ठीक दो दिन बाद, 23 मई को इंडिगो एयरलाइन्स भी इस मुहिम में शामिल हुई, और फिर 1 जून से अकासा ने भी लीची भेजना शुरू किया।
आँकड़े बताते हैं कि इंडिगो ने कुल 159.2 टन, स्पाइसजेट ने 47 टन और अकासा ने 44.5 टन लीची का परिवहन किया। इन सभी एयरलाइंस के संयुक्त प्रयासों से इस सीजन में कुल 250 टन से अधिक लीची हवाई मार्ग से सफलतापूर्वक भेजी गई।
मौसम की चुनौतियों और अन्य बाधाओं के बावजूद, क्षेत्रीय मुख्यालय (आरएचक्यू ईआर), हवाई अड्डा, एएआई कार्गो एंड लॉजिस्टिक्स एंड अलाइड सर्विसेज कंपनी लिमिटेड (एएआईसीएलएएस) और एयरलाइंस की टीमों के बीच बेजोड़ तालमेल और अथक प्रयासों ने इस सफल परिचालन को संभव बनाया। यह सफलता बिहार के किसानों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलती है और राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को एक नई उड़ान देती है।