केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बेंगलुरु में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के संस्थानों का गहन दौरा किया। इस दौरे का उद्देश्य न सिर्फ कृषि वैज्ञानिक शोधों की समीक्षा करना था, बल्कि सीधे किसानों, पशुपालकों और स्टार्टअप उद्यमियों से संवाद कर जमीनी हकीकत को समझना भी था। शिवराज सिंह ने इस दौरान कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं, जो भारत को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती हैं।
आत्मनिर्भर भारत और किसानों के हित सर्वोपरि
अपने संबोधन में शिवराज सिंह चौहान ने बेहद साफ शब्दों में कहा कि आज का भारत किसी की दया पर जिंदा नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है और हमारे लिए सबसे ऊपर देश के किसानों और पशुपालकों के हित हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र है और कोई भी बाहरी ताकत हमें हमारे फैसले लेने से नहीं रोक सकती। उनका यह बयान भारत की आत्मनिर्भरता और घरेलू हितों की सुरक्षा के प्रति सरकार के मजबूत इरादों को दर्शाता है।
आय बढ़ाने का नया मॉडल: एकीकृत खेती पर जोर
किसानों की आय को बढ़ाने के लिए केवल परंपरागत खेती काफी नहीं है। इसी सोच के साथ शिवराज सिंह ने ‘एकीकृत खेती’ (Integrated Farming) के मॉडल पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसानों को केवल एक-दो फसलों जैसे गेहूं या चावल तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपनी खेती में विविधता लानी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि किसान अपनी आय के स्रोतों को बढ़ाने के लिए दालों, तिलहन, फलों, सब्जियों और फूलों की खेती के साथ-साथ पशुपालन को भी जोड़ें। यह मॉडल न केवल किसानों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि उन्हें मौसम की मार से होने वाले नुकसान से भी बचाएगा।
जैविक नियंत्रण और पशुधन सुरक्षा: तकनीक का इस्तेमाल
पशुपालन क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या बीमारियों की होती है। शिवराज सिंह ने कहा कि अब डाटा एनालिसिस के जरिए पशुओं की बीमारियों का पहले से पता लगाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि यह पूर्वानुमान लगभग 90-95% तक सटीक होता है, जिससे राज्य सरकारें समय रहते टीकाकरण कराकर लाखों पशुओं की जान बचा सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस पहल से खुरपका और मुंहपका जैसी बीमारियों को काफी हद तक नियंत्रित किया गया है।
कृषि मंत्री ने रसायनों के अंधाधुंध उपयोग पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों से न सिर्फ मिट्टी, बल्कि मित्र कीटों और मनुष्यों के स्वास्थ्य को भी खतरा है। उन्होंने वैज्ञानिकों को जैविक नियंत्रण उपायों पर काम करने का निर्देश दिया, ताकि कीटनाशकों का इस्तेमाल कम हो सके और किसानों को गुलाबी सुंडी जैसे नए-नए कीटों से बचाया जा सके, जो बीटी कपास जैसी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
सीधे खेत तक पहुंचे मंत्री, किसानों को दिया भरोसा
अपने दौरे के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने केवल संस्थानों तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि वे एक किसान के खेत में जाकर जमीनी हकीकत का जायजा भी लिया। उन्होंने श्रीराम नामक एक किसान के खेत में नारियल, पपीता, केला और अदरक की मिश्रित खेती को देखा। इस दौरान उन्हें ‘नंजनगुड रसाबले’ नाम की केले की एक विशिष्ट किस्म के वायरस से जूझने की जानकारी मिली। इस पर उन्होंने तुरंत एक्शन लेते हुए वैज्ञानिकों की एक विशेष टीम भेजने का वादा किया, ताकि इस खास किस्म को बचाया जा सके और किसानों को इसका लाभ मिलता रहे। उनका यह दौरा बताता है कि सरकार केवल योजनाओं पर ही नहीं, बल्कि सीधे किसानों की समस्याओं पर भी ध्यान दे रही है।





