नई दिल्ली, 28 मई 2025: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित ब्याज छूट योजना (एमआईएसएस) को जारी रखने और इसके तहत 1.5 प्रतिशत ब्याज छूट (आईएस) को बनाए रखने की मंजूरी दी है। यह निर्णय किसानों को सस्ती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने और उनकी वित्तीय मदद सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
संशोधित ब्याज छूट योजना एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसका मकसद किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से किसानों को 3 लाख रुपये तक के अल्पकालिक ऋण 7 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत, ऋण देने वाली पात्र संस्थाओं को 1.5 प्रतिशत ब्याज छूट दी जाती है। इसके अलावा, समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (पीआरआई) के रूप में 3 प्रतिशत तक का अतिरिक्त लाभ मिलता है, जिससे उनकी प्रभावी ब्याज दर 4 प्रतिशत हो जाती है। हालांकि, पशुपालन या मत्स्य पालन के लिए लिए गए ऋणों पर यह लाभ 2 लाख रुपये तक सीमित है।
योजना की मौजूदा संरचना या अन्य पहलुओं में कोई बदलाव नहीं किया गया है। देश में 7.75 करोड़ से अधिक किसान क्रेडिट कार्ड खाते हैं, और इस सहायता को जारी रखना कृषि क्षेत्र में संस्थागत ऋण के प्रवाह को बनाए रखने के लिए जरूरी है, जो उत्पादकता बढ़ाने और छोटे-सीमांत किसानों के वित्तीय समावेशन में मदद करता है।
कृषि ऋण की मुख्य विशेषताओं पर नजर डालें तो, किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ऋण संवितरण 2014 में 4.26 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर दिसंबर 2024 तक 10.05 लाख करोड़ रुपये हो गया है। समग्र कृषि ऋण प्रवाह भी 2013-14 में 7.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 25.49 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। अगस्त 2023 में लॉन्च किए गए किसान ऋण पोर्टल (केआरपी) जैसे डिजिटल सुधारों ने दावा प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ाया है।
वर्तमान ऋण लागत प्रवृत्तियों, औसत एमसीएलआर (न्यूनतम ब्याज दर) और रेपो दर के बदलाव को देखते हुए, ग्रामीण और सहकारी बैंकों को सहयोग देना और किसानों के लिए सस्ते ऋण की निरंतर पहुंच सुनिश्चित करना जरूरी है। इसलिए ब्याज छूट दर को 1.5 प्रतिशत पर बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
कैबिनेट का यह निर्णय किसानों की आय दोगुना करने, ग्रामीण ऋण इको-सिस्टम को मजबूत करने और समय पर सस्ती ऋण पहुंच के माध्यम से कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह कदम निश्चित रूप से किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद करेगा।
(स्रोत: पीआईबी दिल्ली, 28 मई 2025)