भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के 96वें स्थापना दिवस समारोह में आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि शोध और किसान कल्याण को लेकर कई बड़े ऐलान किए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब कृषि शोध ‘डिमांड ड्रिवन’ होगा, यानी “शोध अब पूसा में नहीं, किसानों की जरूरत के हिसाब से होगा।” इसके लिए उन्होंने ‘वन टीम, वन टास्क’ का नया मंत्र दिया। मंत्री ने इस अवसर पर किसानों को नकली खाद-बीज के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया और बेईमानों को न बख्शने की चेतावनी दी।1
नकली खाद-बीज पर ‘जीरो टॉलरेंस’ और नए कानून
श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से सीधा संवाद करते हुए एक महत्वपूर्ण अपील की। उन्होंने कहा, “जहां भी नकली खाद-बीज की आशंका है, तुरंत 18001801551 टोल फ्री नंबर पर खबर करो, बेईमानों को मैं छोडूंगा नहीं।” उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार सीड एक्ट और पेस्टिसाइड एक्ट भी बना रही है, जिसमें नकली कृषि आदानों की बिक्री करने वालों के लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान रहेगा। यह कदम किसानों को धोखाधड़ी से बचाने और उन्हें गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध कराने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
अन्न सुरक्षा में भारत की गौरवशाली यात्रा: अतीत से वर्तमान तक
ICAR के सभी वैज्ञानिकों को स्थापना दिवस की बधाई देते हुए श्री चौहान ने देश की खाद्यान्न आत्मनिर्भरता पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने उस दौर को याद किया जब भारत अमेरिका से ‘PL 480’ योजना के तहत सड़ा हुआ गेहूं आयात करने को मजबूर था। आज की स्थिति बताते हुए उन्होंने कहा, “गर्व है कि देश के अन्न के भंडार भर रहे हैं, हम गेहूं एक्सपोर्ट कर रहे हैं और चावल रखने की जगह नहीं है।” उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘किसानों के हित’ के संकल्प को दोहराते हुए बताया कि सरकार अकेले फर्टिलाइजर सब्सिडी पर 2 लाख करोड़ रुपये खर्च करती है, और फसल बीमा क्लेम के रूप में 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपये किसानों को दिए जा चुके हैं।
आंकड़ों का हवाला देते हुए मंत्री ने बताया कि 2014 से 2025 के बीच भारत का खाद्यान्न उत्पादन प्रतिवर्ष 8.1 मिलियन टन बढ़ा है, जो हरित क्रांति (1966-79) के दौरान हुई वृद्धि (2.7 मिलियन टन प्रतिवर्ष) से लगभग ढाई से तीन गुना अधिक है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, घटती कृषि भूमि और शहरीकरण जैसी चुनौतियों के बावजूद इस रिकॉर्ड उत्पादन वृद्धि का श्रेय किसानों और कृषि वैज्ञानिकों को दिया। दुग्ध उत्पादन (10.2 मिलियन टन प्रतिवर्ष वृद्धि), फल-सब्जी और मछली उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय प्रगति का जिक्र किया गया।
वैज्ञानिकों से अपील: ‘आधुनिक महर्षि’ बनकर किसानों की आय बढ़ाएं
श्री चौहान ने कृषि वैज्ञानिकों को “आधुनिक महर्षि” संबोधित करते हुए कहा कि उनकी बुद्धि और समर्पण देश के लिए अमूल्य है। उन्होंने एक किस्सा भी साझा किया, जिसमें एक वैज्ञानिक अपने शोध में इतने लीन थे कि वे अपनी पत्नी को भी पहचान नहीं पाए, यह उनके गहन समर्पण को दर्शाता है।
मंत्री ने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि देश ने खाद्यान्न सुरक्षा में बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की हैं, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी बाकी हैं। बढ़ती आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, पोषणयुक्त आहार उपलब्ध कराना और साथ ही धरती के स्वास्थ्य को बचाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से धरती को होने वाले नुकसान पर चिंता व्यक्त की।
रिसर्च की नई दिशा: किसान की जरूरत, मार्केट की डिमांड
शिवराज सिंह चौहान ने कृषि शोध की दिशा में बदलाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दालों और तिलहन का प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाना वैज्ञानिकों के सामने एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि अभी हम फ्रांस जैसे देशों से काफी पीछे हैं। उन्होंने कपास में बीटी कॉटन पर वायरस के हमले से उत्पादन घटने और गन्ने में ‘रेड रॉट’ जैसी बीमारियों का उदाहरण देते हुए प्रभावित फसलों पर गहन शोध की आवश्यकता जताई।
किसानों की जायज मांगों को उठाते हुए उन्होंने कहा कि किसानों को ऐसी मशीनें चाहिए जिससे वे नकली खाद-बीज की पहचान कर सकें, और कंपनियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए जब बीज उगे ही नहीं। उन्होंने बायोस्टिम्युलेंट्स के प्रमाणीकरण और छोटे किसानों के लिए छोटी मशीनों के विकास पर भी जोर दिया। टमाटर जैसे उत्पादों की ‘शेल्फ लाइफ’ बढ़ाने और जेनेरिक दवाओं की तरह पेस्टिसाइड की दुकानें खोलने की किसान मांग का भी उन्होंने जिक्र किया।
केंद्रीय मंत्री ने ICAR के स्थापना दिवस को किसानों की जरूरत के हिसाब से शोध करने के संकल्प का दिन बनाने की प्रार्थना और आह्वान किया। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि वे अपने टैलेंट का सर्वश्रेष्ठ उपयोग उन विषयों पर करें जो सबसे जरूरी हैं, ताकि भारत के किसानों की आय बढ़े और वे विकसित भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सकें। उन्होंने इंटीग्रेटेड फार्मिंग (पशुपालन, मछलीपालन, बैंबू मिशन आदि) के क्षेत्र में भी काम करने की जरूरत बताई।
इस समारोह में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी, केंद्रीय कृषि सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी और ICAR के महानिदेशक डॉ. मांगी लाल जाट ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के दौरान प्रगतिशील किसानों, वैज्ञानिकों और संस्थाओं को सम्मानित किया गया, साथ ही कई नए उत्पादों को लॉन्च किया गया और प्रकाशनों का विमोचन हुआ।