जोधपुर, राजस्थान: भारत की धरती पर देसी गौवंश के पुनर्जागरण का अद्भुत संदेश लेकर निकली ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ आज राजस्थान के ऐतिहासिक जोधपुर शहर पहुँची। यहाँ के प्रसिद्ध गोसंवर्धन आश्रम मोकलावास में यात्रा टीम का ऐसा गर्मजोशी भरा और आत्मीय स्वागत हुआ कि पूरा वातावरण गौ-सेवा के रंग में रंग गया। जीव-जंतु कल्याण एवं कृषि शोध संस्थान (AWRI) के अध्यक्ष श्री भारत सिंह राजपुरोहित के नेतृत्व में, यह यात्रा देसी गायों के संरक्षण और ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के अपने ध्येय में लगातार आगे बढ़ रही है।
मोकलावास आश्रम में ऐतिहासिक क्षण: पंचगव्य चिकित्सा पाठ्यक्रम का विमोचन
जोधपुर का मोकलावास आश्रम, जो अपनी श्रेष्ठ थारपारकर नस्ल सुधार के लिए समर्पित है, ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ के लिए एक विशेष पड़ाव बना। यहाँ एक बेहद अहम और दूरगामी पहल के रूप में देश के पहले पंचगव्य चिकित्सा पाठ्यक्रम का भव्य विमोचन किया गया। यह क्षण पंचगव्य के औषधीय गुणों को आधुनिक विज्ञान और चिकित्सा से जोड़ने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।
यात्रा टीम ने इस आश्रम में चल रहे गौ-आधारित विकास के विविध आयामों को भी करीब से देखा। नस्ल सुधार से लेकर गोचर विकास, जल संरक्षण, वन विकास और पंचगव्य उत्पाद निर्माण तक, यहाँ हर उपक्रम गौ-संवेदना और आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा रहा था। यह एक ऐसा मॉडल है जहाँ देसी गायें सिर्फ़ दूध ही नहीं, बल्कि समग्र ग्रामीण विकास का आधार बन रही हैं।
परंपरा का नृत्य और ढोल की गूँज: गौ राष्ट्र यात्रा का अभिनंदन
गोसंवर्धन आश्रम मोकलावास, जोधपुर के संरक्षक राकेश निहाल जी ने ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ टीम का पूरे हृदय से स्वागत किया और यात्रा के मंगलमय और सफल होने की कामना की। इस दौरान आश्रम परिसर में एक मनमोहक दृश्य देखने को मिला – ग्रामीण महिलाओं ने अपने पारंपरिक नृत्य और ढोल-थाली की थाप के साथ यात्रा टीम का अभिनंदन किया। यह स्वागत केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि देसी गौवंश के प्रति उनके अटूट प्रेम और विश्वास का जीवंत प्रदर्शन था।
इस अवसर पर दीपक लालवानी, लीलावती निहाल, वनिता अग्रवाल सहित क्षेत्र के अनेक गौपालक और उत्साही ग्रामीण उपस्थित रहे, जिन्होंने गौवंश संरक्षण के इस महाअभियान को अपना समर्थन दिया।
आत्मनिर्भर ग्राम से ‘गौ राष्ट्र’ का सपना: हर कदम, हर गाँव में बढ़ रहा विश्वास
‘गौ राष्ट्र यात्रा’ का मूल उद्देश्य गौवंश आधारित जीवनशैली को बढ़ावा देना है, ताकि युवा पीढ़ी देसी नस्लों के वैज्ञानिक उपयोग और उनसे जुड़े नवाचारों की ओर प्रेरित हो सके। यह यात्रा ग्राम्य भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सशक्त प्रेरणा है। जोधपुर में मिला यह अभूतपूर्व समर्थन इस बात का प्रमाण है कि पूरे देश में देसी गायों के प्रति जागरूकता और उनके संरक्षण की भावना एक जन-आंदोलन का रूप ले रही है। हर पड़ाव पर यह स्पष्ट हो रहा है कि देसी गाय ही हमारे गाँवों और देश के भविष्य की कुंजी है।