केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में तमिलनाडु के कोयम्बटूर स्थित आईसीएआर- गन्ना प्रजनन संस्थान में कपास उत्पादकता बढ़ाने को लेकर एक अहम बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्री गिरिराज सिंह सहित हरियाणा, महाराष्ट्र व विभिन्न राज्यों के कृषि मंत्रियों, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, वैज्ञानिकों, अधिकारियों और किसानों ने हिस्सा लिया। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में कपास के परिदृश्य, वर्तमान चुनौतियों और उत्पादकता बढ़ाने हेतु भविष्य की रणनीतियों पर गहन विचार-विमर्श करना था।
कपास: जीवन की दूसरी सबसे बड़ी आवश्यकता और चुनौतियाँ
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से सीधा संवाद किया, खेतों का दौरा कर उनकी समस्याओं को समझा। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जीवन में रोटी के बाद सबसे बड़ी जरूरत कपड़ा है, और कपड़ा सीधे तौर पर कपास से बनता है जिसे हमारा किसान पैदा करता है। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व और किसान की केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया, साथ ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किसान कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
श्री चौहान ने स्वीकार किया कि वैश्विक परिदृश्य में भारत में कपास की उत्पादकता अन्य राष्ट्रों के मुकाबले कम है। उन्होंने विशेष रूप से विकसित बीटी कॉटन किस्मों पर वायरस के हमलों से पैदा हो रही समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया, जिससे उत्पादन बढ़ने के बजाय घट रहा है। यह एक ऐसी चुनौती है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
आधुनिकता और एकजुटता से ‘मिशन कॉटन’ का लक्ष्य
केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कपास उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का उपयोग कर लक्ष्यबद्ध तरीके से आगे बढ़ना होगा। उन्होंने वायरस प्रतिरोधी उन्नत बीजों के विकास और समयबद्ध तरीके से किसानों तक उनकी पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका मानना था कि अक्सर उन्नत बीज तैयार हो जाते हैं, लेकिन समय पर किसानों तक न पहुँचने के कारण उनका लाभ नहीं मिल पाता। इस कार्य में वैज्ञानिकों को पूरी ताकत से जुटना होगा।
श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विभिन्न राज्यों से आए किसानों की समस्याओं और मांगों को सुनकर ही आगे की रणनीति तय की जाएगी, ताकि कपड़ा उद्योग के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कपास की जरूरत पूरी की जा सके। उन्होंने ‘विकसित भारत’ के निर्माण के प्रधानमंत्री के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि ऐसे भारत में हमें कपास बाहर से क्यों मंगवाना पड़े, जब हम अपने देश की जरूरत के अनुसार अच्छी गुणवत्ता वाला कपास पैदा कर सकते हैं। इस चुनौती और लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी हितधारकों को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे।
किसान-उद्योग संतुलन और ‘टीम कॉटन’ का गठन
मंत्री ने कपास आयात शुल्क को लेकर किसान और उद्योग जगत दोनों की चिंताओं को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत जहां विदेशों से कपास आयात पर शुल्क खत्म करने की मांग करता है, वहीं किसान चिंतित रहते हैं कि सस्ता आयात उनकी उपज की कीमत गिरा सकता है। ऐसे में किसान और उद्योग जगत दोनों के हितों का ध्यान रखना सरकार की प्राथमिकता है।
बैठक के समापन के बाद, श्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया को बताया कि विश्वस्तरीय कॉटन पैदा करने की दिशा में काम किया जाएगा ताकि उद्योग जगत को आवश्यक लॉन्ग स्टेपल गुणवत्तापूर्ण कॉटन देश में ही मिल सके। उन्होंने ‘मिशन कॉटन’ को सफल बनाने के लिए ‘टीम कॉटन’ के गठन की घोषणा की। इस टीम में कपड़ा मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और आईसीएआर (कृषि मंत्रालय के अधीन) के प्रतिनिधि, केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रगतिशील किसान, साथ ही कॉटन इंडस्ट्री, बीज/सीड इंडस्ट्री और मशीनीकरण (मैकेनाइजेशन) से जुड़े लोग शामिल होंगे। यह टीम मिलकर 2030 से पहले ही निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक दिशा में काम करेगी।
गौरतलब है कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने फसलवार और राज्यवार बैठकें आयोजित करने की घोषणा की थी। इसी क्रम में उन्होंने पहले मध्य प्रदेश के इंदौर में सोयाबीन को लेकर एक बड़ी बैठक की थी और अब कोयम्बटूर में कपास उत्पादकता पर गहन चर्चा कर भविष्य की रणनीतियों को आकार दिया है।