राजधानी नई दिल्ली स्थित भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 के 44वें संस्करण में कृषि क्षेत्र ने सबका ध्यान खींचा है। इस बार, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने भारत मंडपम में एक विशेष ‘कृषि पवेलियन‘ स्थापित किया है, जो देश की बदलती कृषि परिदृश्य को प्रदर्शित कर रहा है।
मंत्रालय ने सभी आगंतुकों को भारतीय कृषि के इस विकसित होते रूप को देखने के लिए आमंत्रित किया है, जहाँ किसान अब केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि सशक्त एग्री–उद्यमी (Agri-Entrepreneurs) के रूप में उभर रहे हैं।
कृषि पवेलियन में क्या है खास?
IITF 2025 का यह विशेष कृषि पवेलियन देश के फार्म सेक्टर में आ रहे बड़े बदलावों को दिखाता है:
- उद्यमिता का उदय: पवेलियन इस बात पर ज़ोर देता है कि कैसे भारतीय किसान पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर तकनीकी नवाचार और व्यापार की समझ के साथ सफल उद्यमी बन रहे हैं।
- वैश्विक बाज़ार में पहुँच: यहाँ उन सफल भारतीय कृषि उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है, जिनकी माँग अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में बढ़ रही है, जिससे देश का उत्पाद वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है।
- नवाचार और स्थिरता: पवेलियन में कृषि में नवाचार (Innovation) और टिकाऊ (Sustainability) तरीकों पर आधारित तकनीकों को भी दर्शाया गया है, जो ग्रामीण समृद्धि की ओर ले जा रहे हैं।
यह पवेलियन ग्रामीण अर्थव्यवस्था के एक ऐसे भविष्य को साकार करता है जो नवाचार, स्थिरता और किसानों की खुशहाली पर आधारित है।

ग्रासरूट पर हो रहा असली बदलाव
इस पवेलियन की सफलता को ज़मीनी स्तर पर हो रहे वास्तविक प्रयासों से भी समझा जा सकता है। ऐसे कई युवा हैं जो अपने क्षेत्र में शांत तरीके से बड़े बदलाव ला रहे हैं:
एक युवा उद्यमी ने बताया कि वे अपने पैतृक स्थान पर देशी ‘काला नमक चावल‘ को पुनर्जीवित कर रहे हैं। साथ ही, वे गौरी–राप्ती वेटलैंड (1000 एकड़ का प्रवासी पक्षियों का घर) के संरक्षण का दस्तावेजीकरण भी कर रहे हैं, जो प्रदूषण और अतिक्रमण से धीरे–धीरे खत्म हो रहा है।
यह पहल बताती है कि जब कृषि में नवाचार और पर्यावरण संरक्षण को जोड़ा जाता है, तो मिट्टी, अनाज और पारिस्थितिकी (Ecology) को बचाया जा सकता है। IITF का पवेलियन इसी तरह के ‘रियल वर्क‘ को जनता के सामने ला रहा है।





