आज हमारा देश राजमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती माना रहा है, और इस अवसर पर उनके शासनकाल में किसानों और कृषि के विकास के लिए किए गए कार्यों को याद किया जा रहा है। अहिल्याबाई होलकर, जो मालवा की रानी के रूप में जानी जाती हैं, उन्होंने अपने शासनकाल (1767-1795) में देश के किसानों की भलाई और कृषि के सतत विकास की ओर विशेष ध्यान दिया। उनकी नीतियां और पहलें आज भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सस्टेनेबल एग्रीकल्चर के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
कृषि और किसानों के लिए अहिल्याबाई होलकर प्रमुख पहलें:
- जमीन का समान वितरण: अहिल्याबाई ने किसानों को उनकी ज़रूरत के अनुसार जमीन का समान वितरण सुनिश्चित किया, ताकि छोटे और सीमांत किसान भी अपनी फसलों को उगा सकें। उन्होंने बड़े जमींदारों के शोषण को रोकने के लिए कड़े नियम बनाए।
- सिंचाई व्यवस्था: उन्होंने सिंचाई के लिए तालाबों, बांधों, और नहरों का निर्माण करवाया, जिससे किसानों को फसलों के लिए पर्याप्त पानी मिल सके। इन परियोजनाओं ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी कृषि को बढ़ावा दिया।
- करों में राहत: अहिल्याबाई ने किसानों पर लगने वाले अत्यधिक करों को कम किया और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान करों को माफ करने की नीति अपनाई, जिससे किसानों को आर्थिक रूप से राहत मिली।
- फसलों की विविधता: उन्होंने किसानों को विभिन्न फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि वे अपनी आय बढ़ा सकें और बाजार में विविधता ला सकें।
- गौपालन और जैविक खेती: अहिल्याबाई ने गौपालन को बढ़ावा दिया, क्योंकि वे मानती थीं कि गायें कृषि के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने जैविक खेती को प्रोत्साहित किया, और गौ आधारित खेती को बढ़ावा दिया। जिसमें देसी गायों के गोबर और मूत्र का उपयोग खाद और कीटनाशक के रूप में किया जाता था।
आज के दौर में इन पहलों का महत्व :
अहिल्याबाई होलकर की ये पहलें आज भी सस्टेनेबल एग्रीकल्चर और ग्रामीण विकास के लिए प्रासंगिक हैं। उनके जमीन वितरण और सिंचाई व्यवस्था की नीतियां आधुनिक समय में भी किसानों की मदद कर सकती हैं। विशेषकर, जैविक खेती और गौपालन पर उनका ध्यान आज के पर्यावरणीय मुद्दों और स्वास्थ्य चिंताओं के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है।
पूरे देश में अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर, उनकी याद में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें किसानों और ग्रामीण समुदायों को उनके योगदानों के बारे में जागरूक करने पर फोकस किया जा रहा है। उनकी विरासत आज भी जीवित है, और उनकी नीतियां हमें सिखाती हैं कि कैसे प्रकृति और मानवता के बीच संतुलन बनाया जा सकता है।