देख के अधिकांश किसान छुट्टा और आवारा पशुओं से होने वाली परेशानियों का सामना कर रहे हैं। क्या आपके सामने भी छुट्टा पशु खेतों और आपकी कमाई के लिए लगातार सिरदर्द बने हुए हैं? तो अब चिंता छोड़िए! भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली ने इस बड़ी समस्या का एक अभिनव समाधान खोज निकाला है। ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के समापन पर संस्थान ने घोषणा की है कि अब वे किसानों को सिखाएंगे कि कैसे इन छुट्टा पशुओं को सिर्फ खतरा नहीं, बल्कि आमदनी का एक नया स्रोत बनाया जा सकता है।
देशव्यापी समस्या का IVRI ने ढूंढ़ा समाधान
IVRI के निदेशक, डॉ. त्रिवेणी दत्त ने एक प्रेसवार्ता में बताया कि हाल ही में संपन्न हुए किसान संवाद कार्यक्रमों के दौरान देशभर के किसानों ने छुट्टा पशुओं की बढ़ती समस्या को प्रमुखता से उठाया। यह एक ऐसी चुनौती है जो किसानों की फसलों को बर्बाद करती है और उनकी आर्थिक स्थिति पर सीधा नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसी को ध्यान में रखते हुए, IVRI ने अब यह बीड़ा उठाया है कि वे किसानों को इस समस्या से निपटने का वैज्ञानिक और लाभकारी तरीका सिखाएंगे।
- आय का नया जरिया: यह पहल न केवल छुट्टा पशुओं के कारण होने वाले नुकसान को कम करेगी, बल्कि किसानों के लिए अतिरिक्त आय के नए रास्ते भी खोलेगी। डॉ. दत्त का मानना है कि यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण साबित होगा और किसानों को एक नई दिशा प्रदान करेगा।
30 हज़ार किसानों तक पहुंची IVRI की मुहिम: ‘लैब टू लैंड’ का सफल मॉडल
IVRI की यह पहल ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का ही विस्तार है, जिसके तहत संस्थान पहले से ही किसानों के बीच सक्रिय रहा है।
- व्यापक जागरूकता अभियान: इस अभियान के तहत, IVRI अब तक 500 से अधिक गांवों के लगभग 30,000 किसानों को नई कृषि तकनीकों और समाधानों के प्रति जागरूक कर चुका है।
- सक्रिय टीमें: संस्थान की 108 टीमें लगातार इस काम में जुटी हैं, जो हर दिन किसानों को नई-नई तकनीकों से जोड़ रही हैं और उनकी जमीनी समस्याओं का समाधान कर रही हैं।
- बढ़ता जुड़ाव: सरकार के इस महत्वाकांक्षी अभियान से हर रोज़ हजारों की संख्या में लोग जुड़ रहे हैं, जो दर्शाता है कि किसान आधुनिक समाधानों को अपनाने के लिए कितने उत्सुक हैं।
यह अभिनव दृष्टिकोण किसानों को केवल समस्याओं से बचाने का नहीं, बल्कि उन्हें एक नई आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। IVRI की यह पहल निश्चित रूप से देश के कृषि परिदृश्य में एक सकारात्मक बदलाव लाएगी।