भारतीय कृषि के सामने खड़ी एक बड़ी चुनौती, नकली और घटिया उर्वरकों की समस्या पर केंद्र सरकार ने अब तक का सबसे कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को एक निर्णायक पत्र लिखकर, इस मुद्दे पर तत्काल और व्यापक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। यह कदम देश भर में किसानों के साथ हो रही धोखाधड़ी को रोकने और उन्हें गुणवत्तापूर्ण कृषि आदान उपलब्ध कराने की केंद्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कृषि की रीढ़ पर हो रहा हमला: नकली उर्वरकों की व्यापक समस्या
श्री चौहान ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और किसानों की मेहनत तथा उनकी आय की स्थिरता सीधे तौर पर उन्हें मिलने वाले कृषि आदानों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि देश भर में नकली उर्वरकों की बिक्री, सब्सिडी वाले उर्वरकों की कालाबाजारी और जबरन टैगिंग जैसी अवैध गतिविधियाँ बड़े पैमाने पर चल रही हैं। ये गतिविधियाँ न केवल किसानों की जेब काटती हैं, बल्कि खेतों की मिट्टी की उर्वरता को भी नुकसान पहुँचाती हैं, जिससे अंततः राष्ट्रीय कृषि उत्पादन प्रभावित होता है। मंत्री ने जोर दिया कि ऐसे अनुचित व्यापारिक तरीकों से किसानों का मनोबल टूटता है और उन पर आर्थिक बोझ बढ़ता है।
राज्यों को ‘जीरो टॉलरेंस’ का निर्देश: सख्त कानूनी कार्रवाई की अपेक्षा
केंद्रीय मंत्री ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है कि किसानों को सही समय पर और आवश्यकतानुसार, उचित मूल्य पर केवल गुणवत्तापूर्ण उर्वरक ही उपलब्ध हों। उन्होंने राज्यों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे इन गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही करें। इसमें दोषियों के लाइसेंस रद्द करना और तत्काल प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करना शामिल है। यह कदम एक स्पष्ट संदेश है कि केंद्र सरकार इस मामले में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं करेगी।
राज्यव्यापी अभियान और सतत निगरानी: किसानों के हित में स्थायी समाधान
श्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी राज्यों से पुरजोर अपील की है कि वे नकली और घटिया कृषि आदानों की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए एक व्यापक राज्यव्यापी अभियान शुरू करें। उन्होंने सुझाव दिया कि यह अभियान केवल कुछ दिनों का नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया होनी चाहिए, जिसमें नियमित जाँच, जागरूकता कार्यक्रम और शिकायतों के त्वरित निवारण की व्यवस्था हो। मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि राज्य स्तर पर इस कार्य की नियमित और प्रभावी निगरानी से किसानों के हितों की पूरी तरह से रक्षा होगी और उन्हें गुणवत्तापूर्ण इनपुट मिलने से कृषि उत्पादकता में भी वृद्धि होगी। यह पहल न केवल किसानों को धोखाधड़ी से बचाएगी, बल्कि उन्हें सशक्त कर देश की कृषि को और अधिक सुदृढ़ बनाने में भी सहायक होगी। केंद्र सरकार इस महत्वपूर्ण अभियान में राज्यों को हर संभव सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।