उत्तर प्रदेश को कुपोषण मुक्त बनाने और ‘जीरो पॉवर्टी’ के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक अनूठी और प्रभावी पहल की है। प्रदेश सरकार के ‘जीरो पॉवर्टी अभियान’ के अंतर्गत, राज्य के 15 लाख चयनित परिवारों को एक-एक सहजन का पौधा प्रदान किया जाएगा। यह कदम न केवल आर्थिक सशक्तिकरण की ओर एक मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि ग्रामीण स्वास्थ्य और पोषण में भी क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।
सहजन: प्रकृति का सुपरफूड, कुपोषण का समाधान
सहजन, जिसे अंग्रेजी में ड्रमस्टिक या मोरिंगा के नाम से जाना जाता है, प्रोटीन और विटामिन का एक अद्भुत स्रोत है। यह कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए, विटामिन सी, और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो इसे एक संपूर्ण पोषक आहार बनाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कुपोषित व्यक्ति यदि नियमित रूप से सहजन का सेवन करे, तो वह बहुत कम समय में स्वस्थ हो सकता है। इसकी पत्तियाँ, फलियाँ और फूल सभी खाद्य होते हैं और औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शिता यह है कि उन्होंने सहजन को केवल एक पेड़ नहीं, बल्कि पोषण सुरक्षा और स्वास्थ्य क्रांति के प्रतीक के रूप में देखा है। 15 लाख परिवारों को सहजन का पौधा उपलब्ध कराने से, लाखों घरों में कुपोषण के खिलाफ एक शक्तिशाली और सतत हथियार पहुंच जाएगा। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के साथ-साथ छोटे स्तर पर अतिरिक्त आय का स्रोत भी बन सकती है।
आस्था और स्वास्थ्य का संगम: एक जन-अभियान
यह अभियान केवल पौधों के वितरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कुपोषण के खिलाफ एक जन-अभियान का रूप लेगा। परिवारों को सहजन के गुणों और उसके सेवन के तरीकों के बारे में भी जागरूक किया जाएगा, ताकि वे इसका अधिकतम लाभ उठा सकें। सरकार का यह कदम ‘स्वस्थ उत्तर प्रदेश, समृद्ध उत्तर प्रदेश’ के संकल्प को मजबूत करता है।
‘जीरो पॉवर्टी अभियान’ के तहत सहजन का वितरण दर्शाता है कि सरकार केवल आंकड़े नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह पौधा आने वाले समय में लाखों चेहरों पर मुस्कान लाने और प्रदेश को कुपोषण मुक्त बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।