भीलवाड़ा, राजस्थान, 10 जुलाई 2025: राष्ट्रव्यापी ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ ने भीलवाड़ा में एक अभूतपूर्व और प्रेरणादायक पहल के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। जीव-जंतु कल्याण एवं कृषि शोध संस्थान (AWARI) के अध्यक्ष श्री भारत सिंह राजपुरोहित और उनकी गौ राष्ट्र यात्रा टीम का प्रेमदन डेयरी और गौसंवर्धन केंद्र, मालोला रोड, भीलवाड़ा में भव्य और उत्साहपूर्ण स्वागत किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर, एक ऐसी प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया जिसने सभी का ध्यान खींचा – इसे नाम दिया गया ‘गाय की बात, गाय के साथ’, जहाँ मीडिया प्रतिनिधि सीधे गौवंश के बीच बैठकर संवाद करते हुए दिखाई दिए। यह पहल न केवल सांकेतिक थी, बल्कि गौ-संरक्षण के प्रति एक गहरी और प्रत्यक्ष प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
‘गाय की बात, गाय के साथ’: जमीनी हकीकत से जुड़ाव का अनूठा मंच
यह अनोखी प्रेस कॉन्फ्रेंस महज एक औपचारिक आयोजन नहीं थी, बल्कि यह गौमाता और मीडिया जगत के बीच सीधा और जीवंत जुड़ाव स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम बनी। गौशाला के शांत और प्राकृतिक वातावरण में, पत्रकारों को गौवंश की वास्तविक स्थिति को करीब से देखने का अवसर मिला। गायों के सान्निध्य में पत्रकारों ने गौ-संरक्षण, गौ-आधारित उत्पादों, और गौपालकों के सामने आने वाली चुनौतियों पर श्री राजपुरोहित से सीधे सवाल पूछे। इस सीधे संवाद ने चर्चा को एक नया और यथार्थवादी आयाम दिया, जिससे गौ-पालन से जुड़ी जमीनी सच्चाइयों को समझने में मदद मिली। श्री राजपुरोहित ने इस दौरान ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ के मूल उद्देश्यों और गौपालकों की समस्याओं के निवारण हेतु किए जा रहे प्रयासों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
नंदी बैंक की स्थापना का ऐतिहासिक ऐलान: नस्ल सुधार से ग्रामीण समृद्धि तक
इस महत्वपूर्ण और अनूठे कार्यक्रम में, श्री भारत सिंह राजपुरोहित ने एक बड़ी और दूरगामी घोषणा की। उन्होंने ‘नंदी बैंक’ की स्थापना करने का ऐलान किया, जिसे गौ-संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य गौपालकों को समय पर और आसानी से उत्कृष्ट नस्ल के नंदी उपलब्ध कराना है। वर्तमान में, अच्छी नस्ल के नंदियों की अनुपलब्धता या उनकी महंगी कीमत गौपालकों के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिससे पशुधन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। ‘नंदी बैंक’ इस समस्या का समाधान करेगा, जहाँ स्वस्थ और उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले नंदियों का संरक्षण और वितरण किया जाएगा।
इस पहल से मिलने वाले उच्च गुणवत्ता वाले नंदियों की मदद से गौपालक अपनी गायों की नस्ल में सुधार कर सकेंगे, जिससे न केवल दुग्ध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी बल्कि गौवंश का समग्र स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता भी बेहतर होगी। यह कदम सीधे तौर पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, किसानों की आय में वृद्धि करेगा, और आवारा पशुओं की समस्या को कम करने में भी सहायक होगा, क्योंकि किसान अच्छी नस्ल के पशुओं को अधिक महत्व देंगे।
‘आस्था से अर्थव्यवस्था’: गाँव के विकास का आत्मनिर्भर मंत्र
श्री राजपुरोहित ने अपने ओजस्वी संबोधन में इस बात पर विशेष जोर दिया कि भारतीय संस्कृति में गौमाता के प्रति जो गहरी आस्था है, उसे अब अर्थव्यवस्था से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने दृढ़ता से कहा, “गाँव का विकास, गाँव के बिना संभव नहीं।” उनका मानना है कि गौवंश भारतीय ग्रामीण जीवनशैली, कृषि और अर्थव्यवस्था की आत्मा है। ‘नंदी बैंक’ इसी दर्शन का एक मूर्त रूप है, जो नंदियों के संरक्षण को सुनिश्चित करेगा और गौ-आधारित कृषि एवं ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देगा।
यह पहल न केवल धार्मिक आस्था को संवर्धित करेगी बल्कि व्यावहारिक रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी, आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी और स्थानीय संसाधनों के उपयोग को प्रोत्साहित करेगी। ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ और ‘नंदी बैंक’ जैसी पहलें यह स्पष्ट संदेश देती हैं कि गौ-संरक्षण केवल एक भावनात्मक मुद्दा नहीं, बल्कि एक आर्थिक और सामाजिक अनिवार्यता है, जो आत्मनिर्भर और समृद्ध ग्रामीण भारत के निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाएगी।