क्लाइमेट चेंज, वनों की कटाई और मिट्टी की खराबी जैसी चुनौतियों से आज हमारा पर्यावरण जूझ रहा है. इन चुनौतियों के बीच गुरुग्राम के श्रीराम स्कूल के 12वीं कक्षा के छात्र अबीर रोहन गोसाईं ने एक अनूठा टेक्निकल सॉल्यूशन तैयार किया है. रोहन का आविष्कार ‘ट्रिवाइव’ एक IoT-आधारित टेक्निक है, जो पेड़ों के स्वास्थ्य (हेल्थ) की निगरानी करती है. रोहन की बनाई ये ऐप, पेड़ों और पौधों की देखभाल में डेटा के जरिए उनके स्वास्थ्य की जानकारी देती है, जिससे उन्हें किसी भी नुकसान से बचाया जा सकता है.
ट्रिवाइव क्या है?
रोहन के जरिए बनाया गया ट्रिवाइव एक छोटा, किफायती और आसान टूल है, जो पेड़ों की हेल्थ की रियल टाइम में निगरानी करता है. इसका इस्तेमाल छोटे किसान, रि-फॉरेस्टेशन टीम, शहरी बागवानी करने वाले और स्कूल कैंपस जैसे कई जगहों पर आसानी से किया जा सकता है. यह टूल पेड़ के आस-पास की मिट्टी और पर्यावरण की स्थिति जैसे तापमान, नमी, pH लेवल, इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी और पोषक तत्व (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम) की जांच करता है.
तकनीकी विशेषताएं
ट्रिवाइव में 7:1 मिट्टी सेंसर लगा है, जो जरूरी स्टैंडर्ड की जांच करता है. यह डेटा ब्लूटूथ लो एनर्जी (BLE) के जरिए मल्टी-लैंग्वेज मोबाइल ऐप में भेजा जाता है, जो एंड्रॉयड और iOS दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है. ये ऐप आवाज के जरिए काम करती है और इसे इस्तेमाल करने वाले यूजर को पर्यावरण की स्थिति की सटीक जानकारी देता है. एनर्जी की बचत के लिए इसमें हर दस मिनट में डेटा सैंपलिंग करने वाला स्पाइक फिल्टर एल्गोरिदम भी है.
डेटा से एक्शन तक
ट्रिवाइव की खासियत यह है कि यह रॉ डेटा को समझने योग्य सुझावों में बदल देता है. यूजर्स को सही समय पर इस ऐप के जरिए अलर्ट और सलाह मिलती है, जिससे वे पेड़ों की सेहत सुधारने के लिए तुरंत कदम उठा सकते हैं. इस तरह यह स्मार्ट कृषि और पर्यावरण बचाने को बढ़ावा देता है.


प्रभाव और नतीजे
ट्रिवाइव के पायलट फेज के दौरान, इसे भारत के कई क्षेत्रों में लगाया गया, जहां इसने 2,240 से अधिक पेड़ों की निगरानी की है. इसके नतीजे काफी अच्छे रहे हैं. इस ऐप की मदद से पेड़ों की सेहत में 35 फीसदी सुधार हुआ और 740 से अधिक पेड़ सूखेपन से बचाए गए. 92 फीसदी गंभीर केस में अलर्ट मिलने के 48 घंटे के भीतर पेड़ों को बचाने की कार्रवाई की गई. इसके अलावा, इस पायलट प्रोजेक्ट ने लगभग 12 टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोकने में मदद की. एक स्वस्थ पेड़ सालाना लगभग 48 पाउंड CO₂ अवशोषित करता है.
इनोवेशन और सिक्योरिटी
ट्रिवाइव की डिजाइन और सॉफ्टवेयर एल्गोरिदम पर एक डिजाइन पेटेंट और तीन भारतीय कॉपीराइट्स हैं. यह सिर्फ एक कोई प्रोडक्ट नहीं, बल्कि पर्यावरण बचाव के लिए एक प्लेटफॉर्म है, जो लोगों को एक्टिव भागीदार बनाता है. अबीर रोहन का यह इनोवेशन पेड़ों की देखभाल को सरल, सटीक और प्रभावशाली बनाकर पर्यावरण बचाव में एक नई क्रांति ला रहा है.
पर्यावरण की रखवाली, ग्लोबल सोच के साथ
अबीर रोहन की बनाई ‘ट्रिवाइव’ ऐप सिर्फ एक तकनीकी खोज नहीं, बल्कि एक ग्लोबल सोच का हिस्सा है. यह ऐप संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण से जुड़े लक्ष्य-सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल 15 (Life on Land) के बिल्कुल अनुरूप है, जिसका मकसद धरती पर जीवन, जंगल, जैव विविधता और इकोसिस्टम को बचाना और मजबूत करना है. यह ऐप खासतौर पर उन किसानों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और संस्थाओं के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है जो पेड़-पौधों, जमीन और हरियाली से जुड़े काम करते हैं. ‘ट्रिवाइव’ के जरिए वे अपने पेड़ों की बेहतर निगरानी कर सकेंगे, जिससे पर्यावरण को बचाने की कोशिशें और मजबूत होंगी.
जब एक छात्र ने थामा पर्यावरण की कमान
ट्रिवाइव एक नौजवान दिमाग की उपज है, 12वीं के छात्र अबीर रोहन की. अबीर ने टेक्नोलॉजी को हथियार बनाकर पर्यावरण की चिंता का हल ढूंढ निकाला है. पेड़ों की सेहत, पानी की जरूरत, तापमान, नमी जैसे कई पहलुओं की जानकारी यह ऐप रियल टाइम में देता है. अबीर की यह पहल सिर्फ गांवों में ही नहीं, बल्कि शहरों में भी काम आ सकती है. पेड़ों की देखभाल अब न तो मुश्किल रहेगी और न ही अनदेखी होगी. ट्रिवाइव ऐप के जरिए अब पर्यावरण बचाने की ये लड़ाई एक संगठित और वैज्ञानिक आंदोलन बन रही है.