नई दिल्ली, 24 जून 2025: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज देशव्यापी ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की गहन समीक्षा की, जिसके बाद उन्होंने इसे स्वतंत्र भारत की एक “अद्भुत घटना” करार दिया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘लैब टू लैंड’ विजन से प्रेरित होकर चलाए गए इस अभियान के तहत, कृषि वैज्ञानिक देशभर के सवा सात सौ से अधिक जिलों के 60 हजार से भी ज़्यादा गांवों तक पहुंचे हैं। मंत्री चौहान ने घोषणा की है कि रबी सीजन की शुरुआत से पहले भी यह महत्वपूर्ण अभियान चलाया जाएगा, जिसका मुख्य लक्ष्य किसानों की आय बढ़ाना, देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और भारत को विश्व का ‘फूड बास्केट’ बनाना है।
अभियान की सफलता और भविष्य की कार्ययोजना पर गंभीर चिंतन
आज दिनभर चली इस वृहद समीक्षा बैठक में, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूसा, दिल्ली में अपने वरिष्ठ अधिकारियों और इस अभियान के नोडल अधिकारियों के प्रस्तुतीकरण को देखा। 29 मई से 12 जून तक चले इस अभियान की सफल समाप्ति के बाद, आगे की रणनीतियों पर गंभीरतापूर्वक विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान अभियान के लिए गठित 2,170 टीमों के सदस्य वैज्ञानिक भी हाइब्रिड मोड में बैठक से जुड़े रहे। समीक्षा सत्र में अभियान के परिणामों, प्राप्त सुझावों, अनुभवों और भविष्य के कृषि अनुसंधान की दिशा पर विस्तार से चर्चा हुई।
शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर कहा कि इस अभियान के माध्यम से एक नया इतिहास रचा गया है, जो एक क्षणिक पहल नहीं बल्कि एक सतत प्रयास है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक, कृषि विभाग के अधिकारी और किसान एक टीम के रूप में लगातार खेतों में जाकर अनुसंधान की दिशा तय करेंगे। अभियान का व्यापक उद्देश्य पोषक आहार के लिए बायोफोर्टिफाइड किस्मों का विकास करना और आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित करना भी है।
किसानों की ज़रूरत के हिसाब से अनुसंधान और अमानक खाद पर ज़ीरो टॉलरेंस
मंत्री चौहान ने स्पष्ट किया कि अब दलहन, तिलहन, सोयाबीन, कपास, गन्ना जैसी प्रमुख उपज और क्षेत्रवार कृषि विकास की कार्ययोजना बनाई जाएगी।1 उन्होंने बल दिया कि कृषि अनुसंधान अब किसानों की वास्तविक आवश्यकताओं के अनुसार प्राथमिकता तय करके किया जाएगा। उन्होंने कहा कि “किसानों का लाभ बढ़ाने के लिए उत्पादन बढ़ाना और कृषि की लागत घटाना इस अभियान का निरंतर उद्देश्य रहेगा।” अभियान से मिली जानकारी किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव लाएगी और देश में अनाज, फल और सब्जियों के भंडार भरेंगे।
शिवराज सिंह ने दृढ़ता से कहा कि अभियान के दौरान मिले अनुभव, आंकड़े नहीं, बल्कि देशवासियों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छोटे जोत वाले किसानों के बावजूद देश में अन्न के भंडार भर रहे हैं, और ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ ने यह भी सिखाया है कि समाधान ऊपर से नीचे नहीं, बल्कि ‘नीचे से ऊपर’ की तरफ होते हैं। “सरकारी दफ्तरों में बैठकर योजनाएं नहीं बनाई जा सकतीं। असली प्रयोगशालाएं तो खेत हैं और असली अनुभव किसान के पास है।” इसी सोच के साथ, वैज्ञानिकों ने जो परिश्रम किया है, उसी आधार पर आगे का रोडमैप बनाया जाएगा।
उन्होंने सख्त चेतावनी दी कि अमानक खाद और कीटनाशक बनाने वालों को बिल्कुल नहीं बख्शा जाएगा। ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार विशेष टीमें बनाएगी और कड़ा कानून भी लाएगी।
समग्र कृषि विकास और केवीके का सुदृढ़ीकरण
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यंत्रीकरण, मृदा स्वास्थ्य, क्लीन प्लांट, कीटनाशक, वॉटरशेड क्षेत्र, हेल्थ एग्रीकल्चर, कोस्टल एग्रीकल्चर और पशुपालन पर भी योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाएगा। विभिन्न टीमों का गठन होगा और किसानों के नवाचारों के प्रसार तथा वेल्यू एडिशन पर भी ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) को सुदृढ़ करने पर जोर देते हुए कहा कि नोडल अधिकारियों की नियुक्ति होगी और केवीके के वैज्ञानिकों को हर महीने तीन दिन खेतों में जाकर किसानों के साथ काम करना होगा।
यह अभियान कृषि पद्धतियों का विश्लेषण करने, आईसीएआर संस्थानों के बीच सीखने की प्रक्रिया को सुगम बनाने, अगले चरण के लिए प्राथमिकताएं तय करने और अनुसंधान-विस्तार रणनीतियों को ‘विकसित भारत’ के लक्ष्यों के साथ जोड़ने में सफल रहा है।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री श्याम सिंह राणा सहित कृषि विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अधिकारी और कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति भी उपस्थित रहे। विभिन्न राज्यों के कृषि मंत्री भी वर्चुअल माध्यम से इस बैठक से जुड़े थे।