एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य, एक ऐतिहासिक नाम परिवर्तन, और गौ-आधारित समृद्धि की ओर एक बड़ा कदम! मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल से एक ऐसी घोषणा की जिसने राज्य के कृषि और पशुपालन परिदृश्य को हमेशा के लिए बदलने का संकल्प लिया है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मध्यप्रदेश को अब ‘देश की डेयरी कैपिटल’ बनाया जाएगा, और इसी उद्देश्य से पशुपालन एवं डेयरी विभाग का नाम बदलकर ‘पशुपालन, डेयरी एवं गौपालन विभाग’ होगा। मुख्यमंत्री निवास परिसर में आयोजित राज्य स्तरीय गौशाला सम्मेलन में डॉ. यादव ने गौ-शालाओं को 90 करोड़ रुपए की अनुदान राशि सिंगल क्लिक से अंतरित की, जिससे प्रदेशभर से आए गौ-पालकों और गौ-शाला संचालकों में जबरदस्त उत्साह दिखा।
दुग्ध उत्पादन में पंचगुनी वृद्धि का लक्ष्य: ‘अमृत समान’ दूध की खरीद और 2600 करोड़ का बजट
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश को देश की दुग्ध राजधानी बनाने के लिए सरकार के ठोस प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जहाँ वर्ष 2002-03 में पशुपालन विभाग का बजट मात्र 300 करोड़ रुपए था, वहीं अब यह बढ़कर 2600 करोड़ रुपए हो गया है, जो इस क्षेत्र के प्रति सरकार की गंभीरता दर्शाता है। एक क्रांतिकारी कदम उठाते हुए, राज्य सरकार ने अब फैट मात्रा के बजाय ‘अमृत समान गौ-माता का दूध’ खरीदने का निर्णय लिया है, ताकि गौ-पालकों तक सीधा और उचित लाभ पहुँचे।
मुख्यमंत्री ने गाय के दूध को सम्पूर्ण आहार बताते हुए राज्य में हाईटेक गौशालाओं के संचालन की सराहना की। सरकार ने गौशाला संचालन के लिए प्रति गाय प्रतिदिन मिलने वाली अनुदान राशि को 20 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए कर दिया है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के साथ हुए महत्वपूर्ण अनुबंध के साथ, प्रदेश का दुग्ध उत्पादन वर्तमान से पांच गुना अधिक करने का विराट लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में प्रतिदिन लगभग साढ़े पांच करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है। डॉ. यादव ने दुग्ध से समृद्धि के लिए नई फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स और दुग्ध समितियों की संख्या को 9 हजार से बढ़ाकर 26 हजार करने का भी संकल्प व्यक्त किया।
गौ-उत्पादों से समृद्धि: प्राकृतिक खाद, सीएनजी और 125 एकड़ जमीन का प्रावधान
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गौ-माता के सम्मान और उनके कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए बताया कि अब नए ‘पशुपालन, डेयरी एवं गौपालन विभाग’ के माध्यम से कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जाएंगी। डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना में गाय के पालन के लिए अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने किसानों को गाय के गोबर से खाद बनाने के लिए प्रेरित किया, यह कहते हुए कि सरकार प्राकृतिक खाद से उत्पादित अनाज का अधिक भाव देगी, जिससे रासायनिक मुक्त कृषि को प्रोत्साहन मिलेगा।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि इंदौर, देवास, रीवा और कुछ अन्य जिलों में गौ-शालाओं के माध्यम से सीएनजी गैस का उत्पादन भी किया जा रहा है। बड़ी गौशालाएं खोलने के लिए राज्य सरकार 125 एकड़ जमीन प्रदान करेगी, जिसके लिए बजट में प्रावधान भी किया गया है। मुख्यमंत्री ने दृढ़ता से कहा कि अगले तीन साल में गौ-पालन के क्षेत्र में प्रदेश का परिदृश्य पूरी तरह बदल जाएगा। इस सम्मेलन में 7 उत्कृष्ट गौ-शालाएं पुरस्कृत हुईं और गौसेवियों को सम्मानित किया गया, साथ ही 73 गौशालाओं को पंजीकरण प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए।
गौ-माता के सम्मान और स्वावलंबी गौशालाओं का संकल्प
सड़कों पर घायल होने वाली गौमाता को गौशाला में पहुंचाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि गायों के लिए भगवान श्रीकृष्ण समर्पित थे और प्रदेश के हर ब्लॉक में वृंदावन ग्राम बनाए जाएंगे, जिससे बच्चों को कुपोषण से मुक्ति मिलेगी। उन्होंने गौ-पालकों को ‘गोपाल’ कहकर सम्मानित किया और कहा कि जहाँ गौमाता है, वहीं स्वर्ग है।
पशुपालन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री लखन पटेल ने बताया कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जो स्वावलंबी गौशालाएं बनाएगा। 30 ऐसे स्थानों को चिन्हित किया गया है जहाँ 5000 से 25000 गोवंश क्षमता वाली हाईटेक स्वावलंबी गौशालाएं बनेंगी, जिनमें जैविक खाद, सीएनजी गैस उत्पादन और सौर ऊर्जा से बिजली भी बनाई जाएगी। वरिष्ठ सांसद वी.डी. शर्मा और खेल एवं सहकारिता मंत्री श्री विश्वास सारंग ने भी गौ-सेवा के महत्व और सरकार के इन अभूतपूर्व प्रयासों की सराहना की। इस ऐतिहासिक सम्मेलन में अनेक जनप्रतिनिधि एवं प्रदेशभर से आए गौ-पालक उपस्थित थे।